न्यायाधीश समीर जैन ने मंगलवार को रविकांत निर्वाण व अन्य की याचिकाओं पर यह आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं को लेकर कोर्ट पहले ही आदेश दे चुका, जिसमें इनकी डिग्री को ट्रायल कोर्ट के निर्णय के अधीन रखने को कहा गया है। एमबीबीएस के बाद याचिकाकर्ताओं ने मेरिट के आधार पर आगे की पढ़ाई की और अब मेरिट के आधार पर चयनित होकर नौकरी कर रहे हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता भुवनेश शर्मा ने कहा कि मामला ट्रायल कोर्ट में विचाराधीन है।
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उल्लेखनीय है कि 2009 में राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट में याचिकाकर्ताओं सहित 16 अभ्यर्थियों ने भी भाग लिया और उनकाे एमबीबीएस में प्रवेश मिल गया। बाद में हस्ताक्षर आदि का मिलान नहीं होने के आधार पर याचिकाकर्ताओं के प्रवेश को गलत माना गया। इस मामले में हाईकोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पी के सिंह की कमेटी से जांच करवाई और बाद में केन्द्रीय जांच एजेंसी से भी जांच कराने को कहा गया। केन्द्रीय जांच एजेंसी ने परीक्षण के बाद इन अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर आदि पर सवाल उठाए, जिसके बाद राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने नोटिस दिया और इस नोटिस को याचिका के जरिए चुनौती दी गई है।