फैक्ट फाइल
1980 के दशक में शुरु हुआ था खनन।
1992 से शुरू हुआ विदेशों में एक्सपोर्ट।
128 खनन लीज उदयपुर जिले में।
74 खनन लीज डूंगरपुर जिले में।
1200 से 1500 रुपए प्रति टन करीब उत्पादन लागत।
2500 रुपए प्रति टन औसत विक्रय मूल्य
उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति सचिव हितेश पटेल ने बताया ग्रीन मार्बल की विदेश में काफी मांग है। नब्बे के दशक में इसका निर्यात शुरू हुआ था। जब प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलब्धता थी। करीब पांच साल पहले तक प्रतिदिन पांच से छह हजार टन प्रतिदिन का उत्खनन हो रहा था। लेकिन, अब खनिज की उपलब्धता कम होने से मात्र 800 से एक हजार टन प्रतिदिन का ही उत्खनन हो पा रहा है। कई लीज तो बंद ही हो चुकी है। जहां खनिज है, वहां अधिक गहराई होने से उत्पादन लागत बहुत अधिक हो गई है। यह भी पढ़ें – Good News : स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर अकादमिक एक्सीलेंस योजना पर आया नया अपडेट, सरकार ने दिया आदेश इन स्थानों पर है सर्वाधिक ग्रीन मार्बल लीज
उदयपुर जिले में केसरियाजी, मसारों की ओबरी, ओडवास, ढेलाना तथा डूंगरपुर जिले में रोहनवाड़ा, मेताली, डचकी, सुराता, बोड़ा आमली में ग्रीन मार्बल की खनन लीज है। इनमें से कई गांव ऐसे हैं, जहां खनन बंद हो चुका है।
पहाड़ थे, पाताल हो गए
दोनों जिलों में ग्रीन मार्बल के खात्मे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि करीब 15-20 साल पहले जहां खनिज पहाड़ों के रूप में नजर आता था। वहां आज पाताल में पहुंच चुका है। खनिज के गहराई में जाने से लीज धारकों के लिए उत्पादन लागत बढ़ गई है। ऐसे में ज्यादातर लीज धारक उत्खनन बंद कर चुके हैं।
नहीं हुआ रॉयल्टी ठेका
उत्खनन कम होने का एक प्रमाण यह भी है कि अब इस क्षेत्र में खनन विभाग को रॉयल्टी ठेका लेने को कोई तैयार नहीं। ठेकेदार नहीं आने से सरकार अपने स्तर पर रॉयल्टी नाके का संचालन कर रही है। इससे पहले यहां करीब साढ़े 9 करोड़ की सालाना आय सरकार को रॉयल्टी ठेके से होती थी।