दरअसल, गुर्जर आंदोलन हो या बाढ़ से बचाव का अभियान या फिर सुरक्षा संबंधी मामला, हर मौके पर सरकार को मुख्यमंत्री व अधिकारियों को मौके पर पहुंचाने सहित तत्काल राहत के लिए हेलिकॉप्टर की आवश्यकता होती है।
सरकार का हैलीकॉप्टर नहीं होने के कारण किराए के हैलीकॉप्टर मंगवाए जाते हैं और इसमें भी अधिकारियों की पहली पसंद वायुसेना का हैलीकॉप्टर ही होता है। गुर्जर आंदोलन के दौरान हेलीकॉप्टर किराए पर लेने के कारण वायुसेना ने राज्य सरकार को 23.99 लाख के बिल भेजे थे।
बिल का भुगतान नहीं हुआ तो रक्षा मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नाराजगी जताई और इसे गंभीर लापरवाही बताकर 18 जून को संयुक्त सचिव एयर की अध्यक्षता में बैठक बुलाई थी। राज्य सरकार ने बैठक से एक दिन पहले बिल का भुगतान कर दिया और बैठक में शामिल होने से छूट मांग ली।
इसके बाद से ही गृह विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बैठक में नहीं जाने की बात से प्रसन्न हो रहे थे लेकिन, कुछ ही दिन बाद मुख्य सचिव के पास रक्षा मंत्रालय के निदेशक एयर अभय कुमार सिंह का फरमान आ गया। सिंह ने पत्र में 18 जून को हुई संयुक्त सचिव एयर की बैठक का हवाला देकर बकाया भुगतान देने की मांग की। रक्षा मंत्रालय ने राजस्थान पर करीब एक दर्जन एयर लिफ्ट के किराए के साढ़े पांच करोड़ रुपए का बकाया निकाल दिया। यह बकाया कांग्रेस-भाजपा दोनों ही सरकारों के समय के हैं।