वहीं बहुत से यूज़र्स ने पेपर लीक का मुद्दा उठाया। एक यूजर ने लिखा, ‘फिर से पेपर लीक गहलोत साहब कुछ तो कीजिए’। मुख्यमंत्री जी पर्चा आउट हो गया। कब तक होता रहेगा ऐसा ? उधर पेपर लीक का मुद्दा बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी उठाया। ट्विटर पर लिखा, ‘बड़े बुजुर्ग कहते हैं जरूरी काम सुबह-सुबह कर लिया करो। अब गहलोत सरकार की प्राथमिकता ही पेपर लीक रह गई है। इसलिए गहलोतराज जंगलराज में एक पेपर और लीक कर दिया गया। सच तो ये है’।
कुछ ने राइट तो हेल्थ बिल का जिर्क भी किया। लिखा इसको जरूर पास कर देना। लोगों के लिए यह जरूरी है। गौरतलब है राजस्थान सरकार प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार देने के लिए राइट टू हेल्थ बिल लागू करने जा रही है। बिल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर इस बिल का विरोध कर रहे हैं। राइट टू हेल्थ के बिल को निजी अस्पतालों के डॉक्टर राइट टू किल बता रहे हैं।
राइट टू हेल्थ बिल में आपातकाल में यानी इमरजेंसी के दौरान निजी अस्तालों को निशुल्क इलाज करने के लिए बाध्य किया गया है। मरीज के पास पैसे नहीं हैं तो भी उसे इलाज के लिए इनकार नहीं किया जा सकता। निजी अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि इमरजेंसी की परिभाषा और इसके दायरे को तय नहीं किया गया है।