पिछले साल बारिश के दौरान गायों की मौत के तांडव ने पूरी रूप से राजनीतिक रूप धारण कर लिया था। पार्टी नेताओं के आपसी बयानबाजी के बाद बने राजनीतिक परिदृश्य के बाद जयपुर महापौर को बदल दिया गया। निर्मल नाहटा के स्थान पर अशोक लाहौटी को महापौर बनाया गया।
साल 2014 में हिंगोनिया गौशाला में करीब आठ हजार गायें थे और इस साल 7694 गायों की मौत हुई। वहीं 2015 में करीब तेरह हजार गायों ने दम तोड़ा था और 2016 में करीब साढ़े तेरह गायों काल के मुहं में समा गई। इस साल पिछले आठ माह में करीब आठ हजार गायों की मौत हो चुकी है। नगर निगम के कार्यकाल में गायों की मृत्युदर 15 प्रतिशत थी जो कि अब घटकर सात प्रतिशत रह गई है।
हिंगोनिया गौशाला में वर्तमान समय में गायों के इलाज के लिए दो आईसीयू वार्ड बने हुए है। लेकिन तीन नम्बर वार्ड के आईसीयू में इलाज के लिए आने वाली हर गाय या अन्य जानवर वहां से वापस जीवित नहीं जाता है। इस बात को वहां पर कार्यरत चिकित्स व कर्मचारी दबी जबान से स्वीकारते है। इस वार्ड में अगर एक स्वस्थ गाय को भी रख लिया गाय तो उसकी 24 से 48 घंटे में मौत हो जाती है।वार्ड नम्बर तीन में इलाज के दौ रान अधिकांश गायों की मौत हो जाती है। यहां पर कार्यरत कर्मचारी वार्ड नम्बर तीन के आईसीयू को मौत का कुआं भी कहते है।
वर्तमान समय में हिंगोनिया गौशाला में करीब पंद्रह हजार गौवंश है। इसमें करीब दस हजार गाय, तीन हजार सांड व करीब एक हजार बछडे है। नगर निगम से अक्षयपात्र फांउडेशन ने एक अक्टूबर 16 में गौशाला की व्यवस्था संभाली थी। उस समय गौशाला में करीब नौ हजार गौवंश था जिनमें एक साल में करीब छह हजार की वृद्धि हुई है।
पिछले साल बारिश के नगर निगम की लापरवाही के चलते बड़ी संख्या में गायों की मौत हो गई थी। बारिश के चलते एक माह में करीब दौ हजार से अधिक गायों की मौत हो गई थी। इसके बाद नगर निगम को गायों की सेवा से मुक्त कर दिया गया। बारिश से गौशाला में फैले दलदल के बाद मौत का सिलसिला चालू हुआ था।
राधा प्रियदास, कार्यक्रम समन्वयक, हिंगोनिया गौशाला-अक्षयपात्र फाउंडेशन
नवम्बर————————–1291
दिसम्बर————————–981
जनवरी————————–971
फरवरी————————–839
मार्च ————————–964
अप्रेल————————–880
मई—————————– 1132
जून————————–1026
जुलाई————————–1075
अगस्त————————–1050