scriptहिंगोनिया गौशाला में हर दूसरे घंटे दम तोड़ रही तीन गायें, ग्यारह माह में साढ़े ग्यारह हजार गायों की मौत | Rajasthan cattle death:11500 cows die in hingonia gaushala in 11 month | Patrika News
जयपुर

हिंगोनिया गौशाला में हर दूसरे घंटे दम तोड़ रही तीन गायें, ग्यारह माह में साढ़े ग्यारह हजार गायों की मौत

हिंगोनिया गौशाला में गायों की मौत को लेकर निशाने पर आए जयपुर नगर निगम का निजी हाथों में गोशाला को देने का कार्ड भी फेल साबित हुआ।

जयपुरOct 05, 2017 / 09:40 am

Santosh Trivedi

cow death
जयपुर। हिंगोनिया गौशाला में गायों की मौत को लेकर निशाने पर आए जयपुर नगर निगम का निजी हाथों में गोशाला को देने का कार्ड भी फेल साबित हुआ। गोशाला में गायों के मरने का सिलसिला जारी है। लेकिन अब न तो निगम इसकी सुध ले रहा है न ही कोई जनप्रतिनिधि झांक रहा है। अभी भी हिंगोनिया गौशाला में हर दूसरे घंटे तीन गाय काल के मुहं में समा रही है।
आंकड़ों पर एक नजर डाले तो पिछले माह एक हजार से अधिक गायाें की माैत हुई। यानि हर दिन 34 गायें असामयिक काल का ग्रास बन रही है। हिंगोनिया गौशाला की व्यवस्था संभालते सितम्बर माह में अक्षय पात्र फांउडेशन को पूरा एक साल हो जाएगा। निगम से अक्टूबर माह में हिंगोनिया गौशाला की व्यवस्था अक्षयपात्र फाउडेंशन ली थी। हिंगोनिया गौशाला की व्यवस्था संभालने से लेकर अगस्त माह तक गौशाला में करीब साढ़े ग्यारह हजार गायों की मौत हो चुकी है।
गायों की मौत के बवाल ने बदला महापौर
पिछले साल बारिश के दौरान गायों की मौत के तांडव ने पूरी रूप से राजनीतिक रूप धारण कर लिया था। पार्टी नेताओं के आपसी बयानबाजी के बाद बने राजनीतिक परिदृश्य के बाद जयपुर महापौर को बदल दिया गया। निर्मल नाहटा के स्थान पर अशोक लाहौटी को महापौर बनाया गया।
हर साल बढ़ती चली गई गायों की मौत की संख्या
साल 2014 में हिंगोनिया गौशाला में करीब आठ हजार गायें थे और इस साल 7694 गायों की मौत हुई। वहीं 2015 में करीब तेरह हजार गायों ने दम तोड़ा था और 2016 में करीब साढ़े तेरह गायों काल के मुहं में समा गई। इस साल पिछले आठ माह में करीब आठ हजार गायों की मौत हो चुकी है। नगर निगम के कार्यकाल में गायों की मृत्युदर 15 प्रतिशत थी जो कि अब घटकर सात प्रतिशत रह गई है।
आईसीयू वार्ड नम्बर तीन…मतलब मौत-
हिंगोनिया गौशाला में वर्तमान समय में गायों के इलाज के लिए दो आईसीयू वार्ड बने हुए है। लेकिन तीन नम्बर वार्ड के आईसीयू में इलाज के लिए आने वाली हर गाय या अन्य जानवर वहां से वापस जीवित नहीं जाता है। इस बात को वहां पर कार्यरत चिकित्स व कर्मचारी दबी जबान से स्वीकारते है। इस वार्ड में अगर एक स्वस्थ गाय को भी रख लिया गाय तो उसकी 24 से 48 घंटे में मौत हो जाती है।वार्ड नम्बर तीन में इलाज के दौ रान अधिकांश गायों की मौत हो जाती है। यहां पर कार्यरत कर्मचारी वार्ड नम्बर तीन के आईसीयू को मौत का कुआं भी कहते है।
गौशाला में पंद्रह हजार गौवंश-
वर्तमान समय में हिंगोनिया गौशाला में करीब पंद्रह हजार गौवंश है। इसमें करीब दस हजार गाय, तीन हजार सांड व करीब एक हजार बछडे है। नगर निगम से अक्षयपात्र फांउडेशन ने एक अक्टूबर 16 में गौशाला की व्यवस्था संभाली थी। उस समय गौशाला में करीब नौ हजार गौवंश था जिनमें एक साल में करीब छह हजार की वृद्धि हुई है।
पिछले साल बारिश ने ढाया था गायों पर मौत का कहर
पिछले साल बारिश के नगर निगम की लापरवाही के चलते बड़ी संख्या में गायों की मौत हो गई थी। बारिश के चलते एक माह में करीब दौ हजार से अधिक गायों की मौत हो गई थी। इसके बाद नगर निगम को गायों की सेवा से मुक्त कर दिया गया। बारिश से गौशाला में फैले दलदल के बाद मौत का सिलसिला चालू हुआ था।
– गौशाला में नगर निगम के मुकाबले मौत का ग्राफ गिरा है। गायों की लगातार मौत के आंकड़े को कम करने का प्रयास जारी है। तीन नम्बर आईसीयू वार्ड की बात की जाए तो वहां पर अधिकांश गायों की इलाज के दौरान मौत हो जाती है। जबकि वार्ड नम्बर चार में एेसा नहीं है।
राधा प्रियदास, कार्यक्रम समन्वयक, हिंगोनिया गौशाला-अक्षयपात्र फाउंडेशन
अक्टूम्बर 2016 से अगस्त 2017 तक गायों की मौत का आंकड़ा-
नवम्बर————————–1291
दिसम्बर————————–981
जनवरी————————–971
फरवरी————————–839
मार्च ————————–964
अप्रेल————————–880
मई—————————– 1132
जून————————–1026
जुलाई————————–1075
अगस्त————————–1050

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