पूर्व राजपरिवार की ओर से मालिकाना हक को लेकर पत्र लिखना भी काम रुकने के पीछे कारण माना जा रहा है। सरकार के काम रोकने के कदम से अधिकारी ऐसे सहमे कि निर्माण कार्य तो दूर उससे सम्बंधित फाइल की ओर देखना भी बंद कर दिया। काम का जिम्मा संभालने वाली कम्पनी को भी जवाब नहीं मिला। कम्पनी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सवाई मानसिंह टाउन हॉल का निर्माण महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने महारानी चंद्रावतजी के लिए कराया था। भवन निर्माण शुरू होने के कुछ दिन बाद ही महारानी की मृत्यु होने से महाराजा ने इसे महल के बजाय रियासतकालीन कौंसिल का सभागार बनवा दिया। 1952 में राजस्थान विधानसभा के प्रथम चुनाव हुए, तब सवाई मानसिंह टाउन हॉल में विधानसभा को स्थापित किया गया। 1952 से 2000 तक भवन के रूप में यह प्रदेश की राजनीति का केन्द्र रहा।
कागजों में कई योजनाएं बनी, लेकिन भवन पर किसी ने ध्यान नहींं दिया। भवन फिर राजनीति के केन्द्र में आया तो विवाद को लेकर। इसके उपयोग को लेकर भी राजनीति शुरू हो गई। कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2011-12 के बजट में टाउन हॉल को विश्वस्तर का म्यूजियम बनाने की घोषणा कर दी। कार्यकाल के आखिरी समय 2013 मेंकाम का उद्घाटन किया। इसके लिए 45 करोड़ रुपए की योजना तैयार की और काम युद्ध स्तर पर शुरू किया। कुछ दिनों में ही विदेशी कम्पनी ने यहां करोड़ों रुपए खर्च कर दिए।