दरअसल बोरवेल में फंसे आर्यन को बचाने के लिए 57 घंटों तक लगातार प्रयास किया जाता रहा। आधुनिक संसाधनों के साथ ही देसी जुगाड़ लगाए गए, लेकिन सब कुछ फेल साबित रहा। जब बाहर निकाला गया तब पता चला कि काफी देर पहले जान जा चुकी थी। जिस बोरवेल में गिरने के कारण आर्यन की मौत हुई थी, उसे बंद नहीं किया गया था। यही कारण है कि इतना बड़ा हादसा हुआ। दरअसल बोरवेल को बंद करने के लिए स्टील और प्लास्टिक के ढक्कन बाजार में मिलते हैं। जिन्हें बोरवेल कैप कहा जाता है। अगर बोरवेल से पानी नहीं निकलता तो इन कैप के जरिए बोरवेल को पैक करना जरूरी है, ताकि कोई हादसा नहीं हो जाए। सबसे बड़ी बात इनकी कीमत सिर्फ दो सौ रुपए से लेकर ढाई सौ रुपए मात्र है।
बताया जा रहा है कि जिस बोरवेल में आर्यन गिरा उसे सुरक्षित रूप से बंद नहीं किया गया था। इसी कारण यह हादसा हुआ। वह खेलने गया और बोरवेल में जा गिरा। दौसा में ही पिछले पांच महीनों में इस तरह के चार हादसे हो चुके हैं। जिनमें से सिर्फ एक बच्ची को समय रहते हुए बचाया जा सका है।