पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सर्वे में पहली बार चोरी, लूट व अन्य आपराधिक प्रकरणों में पकड़े अस्सी फीसदी अपराधियों ने माना की अन्य अपराधियों को पुलिस से घिरा देख और मीडिया में बड़ी फोटो देख उनसे प्रेरित हो खुद की अलग पहचान बनाने के लिए अपराध की दुनिया में आ गए। पुलिस अधिकारी नाम उजागर नहीं करने पर पीएचक्यू के इस मौखिक आदेश की खुलकर जानकारी दे रहे हैं।
बलात्कार के मामलों में अधिकांश आरोपियों से पूछताछ में सामने आया है कि आसानी से मोबाइल पर ही पोर्न फिल्म देखने को मिल जाती है। शादी नहीं होने पर और अधिकांश समय अश्लील फिल्में देख अपनी हवस शिकार छोटी बच्चियों और बालिकाओं को बना लिया।
यह भी बात सामने आई कि अपराधी की पहचान छिपा दी जाएगी तो वह जेल से छूटने के बाद किसी भी क्षेत्र में जाकर रहने लगेगा। फिर अपराध में सक्रिय होने पर आस-पास के लोगों को भी उसकी संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी नहीं लगेगी। यहां तक की आस-पास के घरों को भी वह शिकार बना सकता है। फोटो प्रकाशित होने पर आस-पास के लोग तो उससे सतर्क रहेंगे। हालांकि अभी पुलिस अपनी कस्टडी में अपराधियों के चेहरे की फोटो खींचवाने से बच रही है।