राजस्व रिकॉर्ड में करीब 48 बीघा के इस बाग की खातेदारी में महाराज कुमार भवानी सिंह का नाम अंकित है। वर्ष 1975 के बाद सरकार ने बाग की भूमि पर पुलिस मुख्यालय भवन बनाने की योजना बनाई थी। मामला न्यायालय में चले जाने पर वर्ष 1995 से बाग की जमीन रिसीवर के पास है।
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अब नहीं बचा अमरूद का एक भी पेड़देवर्षि कलानाथ शास्त्री के मुताबिक यह बाग मीठे व स्वादिष्ट अमरूदों के कारण आसपास में बहुत मशहूर रहा। तेज हवा चलने पर रेजीडेंसी और रामबाग चौराहे तक अमरूदों की सुगंध का अहसास होता रहा, मगर अब वह सुगंध यहां नहीं रही। आज यहां एक भी अमरूद का पेड़ नहीं है।
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इनके पास था बाग के अमरूदों का ठेकाअमरूदों के कारण बाग में हजारों तोते आदि पक्षियों का डेरा रहता था। बाग के पास कुमावत, माली, मीणा, हरियाणा ब्राह्मणों और दुसाद महाजनों के खेतों में अनाज, सब्जियां और नाले के पास में गूंद गिरी के गन्ने की फसल लहलहाती थी। चौकड़ी मोदीखाना निवासी सेठ भौरीलाल सरावगी के पास बरसों तक बाग के अमरूदों का ठेका रहा।