उधर, प्रोजेक्ट समय से पूरा हो और राजस्थान व मध्यप्रदेश के बीच किसी तरह का विवाद नहीं हो, इसके लिए नेशनल वाटर डवलपमेंट एजेंसी को बतौर नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि, अभी राजस्थान और मध्यप्रदेश की संयुक्त डीपीआर बनेगी, जिसके बाद दोनों के बीच एमओए (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) होगा। डीपीआर को लेकर विभाग के अफसर अधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।
प्रोजेक्ट में 90 प्रतिशत पैसा केन्द्र देगी, पर फैसला बाकी
राज्य सरकार एक बार फिर इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कराने के लिए प्रयास कर रही है। केन्द्र सरकार की ओर से कुल लागत की 90 प्रतिशत राशि वहन करना प्रस्तावित है। हालांकि, सरकार अभी तक भी इस पर अंतिम निर्णय नहीं कर पाई है।
इन 21 जिलों में पानी की किल्लत होगी दूर
प्रोजेक्ट में 21 जिले शामिल हैं, जहां पेयजल व सिंचाई के लिए पानी पहुंचेगा। इनमें झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, करौली, धौलपुर, भरतपुर, डीग, दौसा, अलवर, खैरथल-तिजारा, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, कोटपूतली-बहरोड़, अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, टोंक और दूदू जिला शामिल है। प्रोजेक्ट में 158 बांध-तालाब और अन्य जल स्रोत को भरा जाएगा। इसके लिए 600 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी रिजर्व रखेंगे। दो चरण में होगा काम
पहला चरण- पहला चरण चार साल में पूरा होगा। इसमें नवनेरा बैराज से बीसलपुर और ईसरदा तक पानी लाया जाएगा। एक कंपनी को काम भी सौंप दिया गया है। इसके तहत रामगढ़ बैराज, महलपुर बैराज, नौनेरा में नहरी तंत्र और पम्पिंग स्टेशन, मेज नदी पर पम्पिंग स्टेशन बनाया जाएगा। साथ ही 2.6 किलाेमीटर लंबी टनल भी तैयार की जाएगी। बीसलपुर बांध में 11.2 टीएमसी और ईसरदा में 10.5 टीएमसी पानी दिया जाएगा। कोटा, बूंदी, टोंक, जयपुर, सवाईमाधोपुर, दौसा, अजमेर जिले के लोग लाभान्वित होंगे।
दूसरा चरण- सरकार दूसरे चरण पर भी होमवर्क कर रही है। इनमें कौनसे जिलों को जोड़कर काम शुरू करने का प्लान बनाया जाए। यहां भी काम पहले चरण के बीच ही शुरू किया जाएगा।