अलवर. मेवात में बालिका शिक्षा का स्तर बहुत ही पिछड़ा हुआ है। बच्चियां स्कूल तक नहीं पहुंच पा रही हैं। अलवर शिक्षा एवं विकास संस्थान की ओर से यहां के गांवों से ड्रॉपआउट बालिकाओं को फिर से स्कूल भेजा जा रहा है ताकि मेवात में बालिकाएं शिक्षा से वंचित न रहें। यह काम नूर मोहम्मद वर्ष 1994 से कर रहे हैं। उन्होंने 15 हजार बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ा है। शुरुआत कोटा-बारां में सहरिया जनजाति की बालिकाओं से की।
जबलपुर. बेटियों के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। बेटी शिक्षित होगी तो इससे पूरा परिवार शिक्षित होगा। वह अपने सपनों को पूरा कर पाएगी। लेकिन कई बार परिस्थितिवश बेटियों को पढऩे का मौका नहीं मिल पाता है। परिवार की आर्थिक स्थितियां आड़े आ जाती हैं। ऐसे ही बेटियों को पढ़ाने का जिम्मा उठा रही हैं पूजा कोष्टा। पूजा केयरटेकर की बेटी को पढ़ा रहीं हैं। उन्होंने उनकी मां की देखरेख के लिए एक दम्पती को नौकरी पर रखा था। उनकी एक बच्ची भी थी। जिसको उन्होंने कभी पढऩे के लिए नहीं भेजा था।
धमतरी. सोशल मीडिया पर की गई अपील से 27 बेटियों को निशुल्क शिक्षा मिल रही है। समाजसेवी सरिता दोशी ने 3 जरूरतमंद बेटियों की शिक्षा के लिए सोशल मीडिया पर अपील की। यह पोस्ट कैलिफोर्निया की कृष्णाबेन वलिया, नार्थ कैरोलीना की काजल भट्ट, लॉस एंजिल्स निवासी सूर्या सेठ के पास पहुंची और वे हर संभव मदद के लिए राजी हो गईं। सरिता दोशी ने ऐसी जरूरतमंद बेटियों की खोज की तो 27 बेटियां ऐसी मिली, जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।