पेपर लीक गिरोह की मदद से परीक्षा पास करने वाले आरोपियों में सबसे ऊपर है नरेश खिलेरी। नरेश ने उपनिरीक्षक परीक्षा में टॉप किया था। नरेश राजकीय प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय मंडोली, जालोर में यूडीसी था। इसके बाद थानेदार बनने के लिए उसने पहली नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
इसी तरह उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा में मेरिट में 199वें नम्बर पर आया श्रवण कुमार पहले से ही पुलिस महकमे में नौकरी पा चुका था। वह वर्ष 2013 में पुलिस कांस्टेबल बना। उसकी पोस्टिंग बाड़मेर में थी। इसके बाद उसने पेपर लीक गिरोह की मदद से उपनिरीक्षक परीक्षा पास की। कांस्टेबल पद से त्याग पत्र देने के बाद उसने गत वर्ष ही उपनिरीक्षक पद पर जॉइन किया था। मेरिट में 72वें नम्बर पर आई प्रेमसुखी सांख्यिकी विभाग में संगणक थी। उसकी पोस्टिंग वर्ष 2022 में ही नागौर जिला परिषद में हुई थी। मेरिट में 298वें नम्बर पर आई भगवती विश्नोई वर्ष 2015 में कांस्टेबल बनी थी। उसकी पोस्टिंग जालोर में थी ।
पेपर लीक गिरोह के फरार आरोपी यूनिक भांभू का भाई विवेक भांभू मेरिट में 24वें नम्बर पर था। वह इससे पहले बीएसएफ में पदस्थापित था। कभी शराब का काम करने वाले यूनिक ने भाई को थानेदार बनाया। लीक किए गए पेपर की मदद से विवेक थानेदार बना था। मेरिट में 385वें नम्बर पर आने वाला रोहिताश्व भारतीय सेना में रहा है।
पेपर लीक गिरोह के जगदीश विश्नोई और अन्य आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि उन्होंने मनोहर नाम के अभ्यर्थी को भी पेपर दिया था। आरपीए पहुंची एसओजी पूछताछ के लिए बैच में शामिल मनोहर नाम के तीन थानेदारों को अपने साथ ले आई। पूछताछ के बाद एसओजी ने 52वीं मेरिट वाले मनोहर लाल को गिरफ्तार कर लिया और अन्य दो मनोहर नाम के थानेदारों को बीते बुधवार रात को वापस आरपीए भेज दिया।
राजस्थान में एक और पेपर लीक मामले में बड़ी सफलता, SOG के हत्थे चढ़ा माफिया सुरेश ढाका का भाई
नरेश कुमार
सुरेन्द्र कुमार
कारणपाल
विवेक भाम्भू
प्रेम सुखी
एकता
गोपी राम जांगू
अवन कुमार
मनोहर लाल
भगवती विश्नोई
चंचल कुमारी
रोहिताश्व कुमार
राजेश्वरी
नारंगी कुमारी