मामले के अनुसार, 15 सितंबर 2016 को मृतका के पिता राकेश गुप्ता ने संबंधित पुलिस स्थान पर एफआईआर दर्ज करवाया। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी बीती शाम को 7 बजे घर से कैफे जाने का दावा करके घर से बाहर गई थी, लेकिन फिर वह घर नहीं लौटी। जब उन्होंने उसको फोन किया, तो एक बार रिंग के बाद नंबर बंद हो गया।
पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपी अपनी कार में मृतका को लेकर गया था। उसने चाकू का इस्तेमाल करके उसकी हत्या कर दी। फिर उसने सबूत मिटाने की नीयत से शव को सेक्टर 7 के शहीद पार्क के पास अंधेरे में फेंक दिया।
सबूत मिटाने की कोशिश
आरोपी ने बेटी के मोबाइल को भी सबूत मिटाने की नीयत से चुरा लिया था। बाद में आरोपी ने अपनी कार को धुलवाकर खून के धब्बे मिटवा दिए थे। इस मामले में कई सबूत प्रस्तुत किए गए थे, जैसे कि 78 दस्तावेज और 26 गवाह। इसके अलावा, आरोपी के बारे में मेडिकल रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की गई थी।
मर्डर से पहले आरोपी और मृतका के बीच मोबाइल पर बात भी हुई थी। दोनों की टावर लोकेशन के अलावा आरोपी की कार से खून के धब्बे मिल गए थे। पुलिस ने मृतका का मोबइल, अपराध में यूज किया गया चाकू आदि बरामद कर लिया था। आरोपी लगातार मृतका को परेशान कर रहा था, जिसके बाद उसको दोषी करार दिया गया है।
विशेष कोर्ट के जज प्रमोद कुमार मलिक ने टिप्पणी की कि आरोपी ने गंभीर अपराध किया है और महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। इसलिए अपराधियों से कोई नरमी नहीं बरती जा सकती है।
सजा की प्रशंसा इस मामले में मिली सजा की प्रशंसा करते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले की जांच में पूरी लगन से काम किया और आरोपी को सजा दिलाने में सफलता मिली है।
महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा इस मामले में मिली सजा महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह संदेश देता है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी।