एक ही परिसर में ओपीडी, इलाज व जांच यह टावर सिर्फ श्वांस से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए तैयार किया जाएगा। टीबी के मरीजों का परिसर अलग रहेगा। इस टावर में इमरजेंसी, ओपीडी, सभी जांच और गंभीर मरीजों के लिए 30 बेड का स्पेशल आईसीयू होगा। श्वसन रोग से संबंधित इलाज के लिए हाई प्रोसीजर कक्ष भी बनाया जाएगा। यहां क्रिटिकल केयर, पल्मोनरी रिहेबिलिटेशन, लंग प्रोसीजर के जटिल रोगों का उपचार होगा।
वर्टिकल विकास पर इसलिए जोर बड़े भू भाग में समानान्तर (होरिजेंटल) विकास के कारण मरीजों को जांच, ओपीडी, दवा सहित इनडोर सुविधाओं के लिए लंबे चक्कर लगाने पड़ते हैं। जिससे मरीज के साथ उनके परिजन को भी परेशान होना पड़ता है। इसमें अधिक जगह की आवश्यकता भी होती है। इसके चलते एसएमएस, महिला, जनाना और गणगौरी अस्पताल में भी टावर का निर्माण शुरू हो चुका है। एसएमएस में तो देश का सबसे बड़ा सरकारी आईपीडी टावर बनाया जा रहा है। इसके अलावा यहां कार्डियक टावर का निर्माण भी तेजी से चल रहा है। यहां पूर्व में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को भी टावर की तरह ही बनाया गया है।
—- प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के बाद पहले चरण की राशि जारी हो गई है। नक्शे व डिजाइन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस टावर के बनने के बाद श्वसन रोग से संबंधित मरीजों को एक ही परिसर में आउटडोर, जांच, इमरजेंसी की सुविधाएं मिलेगी।
– डॉ. महेन्द्र बैनाड़ा, अधीक्षक, श्वांस रोग संस्थान, शास्त्री नगर