– मुआवजे में स्ट्रक्चर, पेड़, कुआ सहित अन्य छूट गया हो तो उसकी दोबारा स्थिति देखना।
– सिंचित, असिंचित भूमि की स्थिति।
– मुआवजा गणना में गड़बड़ी या कमी हुई हो।
– एक-एक ढाणी, हर कॉलोनी का सर्वे दोबारा हो।
– एक व्यक्ति या एक परिवार उसकी न्यूनतम आवश्यकता की रिपोर्ट भी बनाई जाए। इससे पता चलेगा कि एक परिवार के लिए कितनी जमीन की जरूरत है।
– मकानों की स्थिति क्या है और कितना नुकसान होगा, उसका पूरा सर्वे हो।
– निवासियों की आर्थिक स्थिति और अवाप्ति के बाद जीवन पर पडऩे वाले प्रभाव का आकलन किया जाए।
– रोजगार की व्यवस्था भी देखी जाए कि अवाप्ति के बाद मुआवजा के तौर पर मिलने वाली जमीन उसके उपयोगी होगी या नहीं।
संघर्ष समिति कलक्टर व जेडीए अधिकारियों के प्रस्ताव पर रजामंद होते दिखाई दिए। इस बीच संघर्ष समिति ने मांग रखी की जब तक चिन्हित बिन्दुओं पर सर्वे नहीं हो जाता तब तक मौके पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जोन जमीन सरेंडर हो चुकी है वह जेडीए की है, उस पर काम किया जाता रहेगा। हालांकि, कलक्टर ने किसानों को आपसी विचार के लिए 24 घंटे का समय दिया है। इस बीचकिसानों ने साफ कर दिया है कि आवासीय योजना का दोबारा सर्वे होने तक हमकोई कार्रवाई नहीं होने देंगे।