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क्या है पूजन विधिडॉ. गौरव ने कहना है कि घट स्थापना के बताए गए इस इस शुभ मुहूर्त में माँ का स्वागत, गाय के घी का दीपक जलाकर, दुर्गा चालीसा का पाठ कर तथा गाय के उपले पर गुग्गल की धूप दे कर करें। उपवास करें, परंतु न बने तो कोई बात नहीं, लेकिन नौ दिन प्याज़ लहसुन से दूर ही रहें। इस दिन मंदिर जा कर माँ को उनकी पसंदीदा लाल चुनरी भेट देना न भूलें।
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शुक्ल व ब्रह्म योग का अद्भुत संयोगइस शारदीय नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल व ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, यानि नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल योग सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ब्रह्म योग शुरू होगा। एस्ट्रो अरुण पंडित ने कू एप पर इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि इस साल शारदीय नवरात्रि पर शुक्ल व ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार 26 सितंबर यानी नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल योग सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ब्रह्म योग शुरू होगा। ज्योतिष शास्त्र में शुक्ल व ब्रह्म में पूजा करना शुभ फलदायी माना गया है। माना जा रहा है कि इस बार माँ दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, यानी इस बार माँ दुर्गा का वाहन हाथी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि रविवार और सोमवार से जब नवरात्रि प्रारंभ होती हैं, तो माता वाहन के रूप में हाथी पर विराजमान होकर आती हैं।