जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है, वहां एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान में भिवाड़ी और जयपुर में कानपुर आइआइटी की मदद से यह काम चल रहा है।
मध्यप्रदेश, इंदौर, मंडीदीप, ग्वालियर, नागदा-रतलाम, देवास, पीतामपुर, छत्तीसगढ़, रायपुर, कोरबा, भिलाई-दुर्ग
रेड श्रेणी के प्रमुख उद्योग
बड़ी होटल
रसायनिक
ऑटोमोबाइल उत्पादन
खतरनाक वेस्ट रिसाइकिल
ऑयल व ग्रीस उत्पादन
लीड एसिड बैटरी
पावर उत्पादन प्लांट
दूध प्रसंस्करण व डेयरी उत्पाद
सीमेन्ट
पल्प व पेपर ब्लीचिंग
थर्मल पावर प्लांट
बूचडख़ाना
अलमारी व ग्रिल बनाने की फैक्ट्री
20 हजार वर्ग मीटर से अधिक भवन निर्माण
प्रिंटिंग प्रेस
स्टोन क्रेशर्स
ट्रांसफार्मर मरम्मत
होट मिक्स प्लांट
नए हाइवे निर्माण प्रोजेक्ट्स
राजनीति का कभी मुद्दा नहीं प्रदूषण कभी भी सरकारों के लिए बड़ा मुद्दा नहीं रहा, जिसकी वजह से इस पर नियंत्रण के गंभीर प्रयास नहीं किए गए। यही वजह है कि चुनाव से लेकर विधानसभा और संसद में इस पर कभी भी गंभीर चर्चा नहीं होती। कुछ नेता इस पर बोलते जरूर है, लेकिन उनको भी अनुसना कर दिया जाता है। वहीं राजनीति का उपयोग सिर्फ प्रदृूषण फैलाने वालों को कार्रवाई से बचाने के लिए ही किया जाता रहा है।