पंचांग के अनुसार सावन के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 7 जुलाई को सुबह 3:12 बजे शुरू होगा। नाग पंचमी का त्योहार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है। इस साल यह त्योहार 7 जुलाई शुक्रवार कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन नाग देवता की विधि-विधान से पूजा और अभिषेक करने से सर्पदंश का भय दूर हो जाता है और आपके अंदर आध्यात्मिक शक्ति उत्पन्न होती है। पूजा के बाद कथा पढ़ने की भी परंपरा है।
क्यों करते है नागों की पूजा ? जानिए पूजा विधि और महत्व
पहली कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में किसी गांव में एक किसान रहता था जिसके दो पुत्र और एक पुत्री थी। वह किसान बहुत मेहनत करता था। एक दिन जब रोजाना की तरह किसान हल जोत रहा था तो भूलवश उसने वहां एक नागिन के अंडों को कुचल दिया। उस समय नागिन वहां नहीं थी लेकिन जब वह वापस आई तो अपने अंडों को नष्ट पाकर क्रोधित हुई और तभी किसान से बदला लेने का निश्चय कर लिया। तब उस नागिन ने घर पर किसान के दोनों पुत्रों को डस लिया जिससे उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि वह उसकी पुत्री को न डस सकी क्योंकि किसान की बेटी उस वक्त घर पर मौजूद नहीं थी। अगले दिन दोबारा जब पुत्री को डसने की मंशा से नागिन किसान के घर आई तब किसान की बेटी ने नागिन के सामने कटोरी में दूध रख दिया और क्षमा याचना करने लगी। किसान की बेटी को माफी मांगता देख नागिन खुश हुई और उसके दोनों भाइयों को भी जिंदा कर दिया। यह घटना सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुई थी तभी से इस दिन नागों की पूजा की जाने लगी।
दूसरी कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक राजा था जिसकी पत्नी गर्भवती थी। पत्नी को फल खाने की इच्छा हुई तो उसने राजा को जंगल से लाने के लिए कहा। राजा जंगल से करैली तोड़ रहा था कि तभी वहां नाग देवता प्रकट हुए और राजा से बोलने लगी कि तुमने मेरी रजामंदी के बिना करैली क्यों तोड़ी। राजा ने इसके लिए नाग देवता से माफी मांगी लेकिन उन्होंने राजा की एक नहीं सुनी। राजा ने नाग देवता से कहा कि, उसकी पत्नी गर्भवती है और वह उसे वचन देकर आए हैं इसलिए करैली कर ले कर जाना चाहते हैं। नाग देवता ने राजा के सामने शर्त रखी कि वह करैली घर लेकर जा सकता है लेकिन इसके बदले में राजा की पहली संतान नाग देवता को देनी पड़ेगी। उस समय राजा को कुछ भी समझ नहीं आया और वह नाग देवता को वादा करके घर लौट आया।
नाग पंचमी कल, इस विधि-विधान से करें नाग देवता की पूजा
घर आकर पूरा वृतांत राजा ने रानी को सुनाया। फिर रानी ने एक बेटे और एक बेटी का जन्म दिया। तब कुछ ही दिनों बाद नाग देवता राजा के घर वचन के अनुसार उसकी संतान लेने पहुंच गए। लेकिन राजा ने कहा कि, मेरी पहली संतान पुत्री है पर मैं उसे मुंडन के बाद ही दूंगा। नाग देवता वहां से चले गए। फिर वह दोबारा आए तो राजा ने कहा कि मेरी पुत्री के विवाह के बाद आना तभी दूंगा। लेकिन नाग देवता ने सोचा कि बेटी के विवाह पश्चात तो बाप का उस पर कोई हक नहीं होता। इसलिए उसी समय नाग ने राजा की बेटी को ले जाने का सोच लिया। फिर एक दिन नाग देवता राजा की बेटी को उठाकर ले गए। राजा ने जैसे ही यह जाना तो दुख के कारण उसकी मृत्यु हो गई। राजा की मृत्यु की बात पता चलने पर रानी भी शोक से मर गई। अब घर में केवल राजा का पुत्र ही बाकी था जिसको उसके रिश्तेदारों ने लूट लिया और भिखारियों की तरह इधर-उधर भटकने लगा। एक दिन भीख मांगते हुए राजा का बेटा अपनी बहन के पास नाग के घर पहुंच गया। तब उसकी बहन ने अपने भाई को पहचान कर अपने साथ ही रख लिया। इसके बाद दोनों भाई-बहन एक साथ प्रेम से रहने लगे। मान्यता है कि तभी से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।