गांव मेदपुरा निवासी 32 वर्षीय युवक हेमराज कांसोटिया ने अपने छोटे भाई व बहन की सफलता को देखने के लिए कड़ा संघर्ष किया है। बारह वर्ष की उम्र में उसने जोबनेर में एक दुकान पर जूती बनानी शुरू की, उसे दिन के सौ रुपए मिलते थे। इसी से उसने अपने छोटे भाई बहनों का कॅरियर बनाने की ठानी। 5 वर्ष जूतियां बनाने के काम के बाद आमदनी बढ़ाने के लिए वह बेलदारी करने लगा। इससे उसकी आय में वृद्धि हुई, जिससे वह अपने छोटे भाई बहनों की पढ़ाई में खर्च करने लगा।
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छोटे भाई—बहनों में देख रहा भविष्य:
हेमराज ने बताया कि आज भी वह मजदूरी करके परिवार का खर्चा चलाता है। बीपीएल में शामिल नहीं है। इतने वर्षों में हेमराज व उसका परिवार कच्चे घरों में ही रहते थे अभी कुछ महीनों पूर्व ही उन्होंने दो कमरे बनवाए हैं। छोटे भाई राकेश कासोटिया ने अपने भाई का संघर्ष देखा तो उसने जीवन में कुछ करने की ठानी। राकेश ने श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय से प्रसार शिक्षा में एमएससी की व उसके बाद उसका पीएचडी में एडमिशन हुआ। वर्तमान में वह पीएचडी कर रहा है। वहीं हेमराज की बहन ललिता सांभर के राजकीय महाविद्यालय से एमएससी कर रही है।