अजमेर के वरिष्ठ साहित्यकार डा.हासो दादलानी ने ‘कवि किशनचंद बेवस जी शाइरी’ विषयक आलेख में सिन्धी के वरिष्ठ साहित्यकार किशनचंद बेवस के साहित्य पर प्रकाश डालते हुये बताया कि बेवस का मूल मंत्र था। ‘सादा जीवन उच्च विचार।’ जयपुर की डा.रूपा मंगलानी ने आज़ाद कविता ‘उम्मीदअ’ एवं पार्वती भागवानी ने आज़ाद कवितायें प्रस्तुत की। डा.गायत्री ने ‘सिन्धी कोकिला भगवन्ती नावाणी’ विषयक आलेख में भगवन्ती नावाणी के गाये गीतों का वर्णन किया। डा.जानकी मूरजानी ने ‘बसन्त पंचमी/मदनोत्सव’ विषयक आलेख में बसंत पंचमी पर्व के बारे में विस्तार से बताया। विवेकानन्द गोस्वामी ने ‘पंडित ब्रहमानन्द गोस्वामी जो जीवन चरित्र’ विषयक आलेख में सिन्ध के महान शास्त्रीय संगीतज्ञ ब्रहमानन्द गोस्वामी के जीवन के बार में विस्तार से बताया।
हेमनदास ने ‘मातृ-पितृ पूजन दीहुं-14 फरवरी’ अर्थात् बसंत पंचमी विषयक आलेख में बसंत पंचमी पर्व को माता-पिता पूजन दिवस के रूप में मनाने के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। हेमा मलानी ने कहानी ‘कर्मयोगी मुहिनी’ में कर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुये बताया कि हालात चाहे कैसे भी हों हमें अपने सद्कर्मो पर चलना चाहिए।
इस अवसर पर अकादमी द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में आयोजित अखिल भारतीय/राज्य स्तरीय कहानी एवं एकांकी आलेख प्रतियोगिता के विजेताओं में जोधपुर के घनश्याम दास देवनानी, जयपुर के गोबिन्दराम माया, रमेश कुमार रंगानी, नन्दिनी पंजवानी, गोपाल, डा.गायत्री, यश मलानी एवं निवाई टोंक की ऋचा छतवानी को सम्मानित किया गया।
गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार डा.खेमचंद गोकलानी, डा.माला कैलाश, पूजा चांदवानी, हर्षा पंजाबी, डा.पूनम केसवानी, डा.हरि जे.मंगलानी, हेमा चंदानी, वीना, ज्योति पहलवानी, डा.विजय लक्ष्मी गोस्वामी, अनन्त गोस्वामी तथा सिन्धी भाषी साहित्यकार, पत्रकार, अकादमी के पूर्व सदस्य एवं समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। गोष्ठी का संचालन श्रीमती नन्दिनी पंजवानी ने किया।