इन विकल्प पर पुख्ता काम हो तो बने बात
बांध की ऊंचाई बढ़े
जो छोटे-बड़े बांध 2 से 3 साल में ओवरफ्लो हो रहे हैं, उनकी ऊंचाई बढ़ाई जा सकती है। इनमें बीसलपुर, माही, पार्वती, सोमकला अंबा, कोटा बैराज मुख्य रूप से है, जो बड़े बांधों की श्रेणी में है। हालांकि, ऊंचाई बढ़ाने पर डूब क्षेत्र बढ़ता है और आस-पास के गांव प्रभावित होते हैं। इसमें जरूरत और खाली जमीन उपलब्ध का आकलन किया जा सकता है।
फायदा- ऊंचाई बढ़ेगी तो पानी की स्टोरेज क्षमता भी बढ़ जाएगी।
गाद-मिट्टी निकालें तो 10 प्रतिशत क्षमता बढ़े प्रदेश में 22 बड़े बांध हैं, जिनमें पानी स्टोरेज की क्षमता 8104.66 मिलियन क्यूबिक मीटर है। इनमें से आधे बांधों में मिट्टी-गाद ज्यादा भरी है। इससे बांध क्षमता औसतन 10 प्रतिशत घट गई। सभी जगह इसे हटा दें तो भी 800 से 900 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी अतिरिक्त स्टोरेज किया जा सकता है। इनके अलावा मध्यम और लघु श्रेणी के 669 बांधों को भी जोड़ें तो पानी के अतिरिक्त स्टोरेज का आंकड़ा 13000 मिलियन क्यूबिक मीटर को पार करने का आकलन है। अभी बीसलपुर का काम सौंपा गया है।
फायदा- अनुबंधित कंपनी मिट्टी के पैसे देगी। नया बांध बनाने की जरूरत कम होगी। निर्माण लागत का पैसा बचेगा। इंटरलिंकिंग ग्रिड बने, खाली बांध भरेंगे ज्यादातर जगह इंटरलिंकिंग ग्रिड सिस्टम तैयार हो, यानि एक बांध को दूसरे बांध से जोड़ा जाए। इससे फायदा यह होगा कि, जब भी एक बांध ओवरफ्लो होगा तो उसका पानी दूसरे बांध में पहुंचे। पीकेसी-ईआरसीपी में इसी तर्ज पर काम होना है।
फायदा- खाली बांधों में पानी पहुंचेगा और उससे उस क्षेत्र में सिंचाई, पेयजल की उपलब्धता बढ़ेगी। औद्योगिक गतिविधियों की संभावना भी बनेगी।
सुरक्षा-स्ट्रक्चर सुधार, रूकेगा लीकेज बांधों में समयबद्ध तरीके से स्ट्रक्चर सुधार और सुरक्षा की जरूरत है, क्योंकि अभी कई बांधों से पानी का लीकेज हो रहा हालांकि, अभी 14 बांधों को इसमें शामिल किया, जिसमें से आठ में काम चल रहा है।
फायदा- इससे बांधों की सुरक्षा बढ़ने के साथ-साथ व्यर्थ बह रहे पानी को रोका जा सकेगा। है। अभी कई मिलियन क्यूबिक मीटर पानी व्यर्थ रहा है। आर्टिफिशियल रिजर्व वायर ओडिशा, तेलंगाना की तर्ज पर यहां भी आर्टिफिशियल (कृत्रिम) रिजर्व वायर का निर्माण किया जा सकता है। यह उस जगह बने, जहां बारिश का पानी एकत्रित होकर आगे निकल जाता है। पहाड़ी की तलहटी पर भी बनाया जा सकता है।
फायदा- कई जगह पानी एकत्र करके वहां सिंचाई की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर पेयजल के लिए भी उपयोगी बनाने का विकल्प है।
गाइडलाइन में बदलाव इसलिए जरूरी
मौजूदा प्रावधान- बड़े व मध्यम बांधों की ऊंचाई तभी बढ़ाने के अनुमति है, जब वे 10 साल में 7.5 बार भर रहे हों। यानि, औसतन सवा से डेढ़ साल में ओवरफ्लो हो। इसी तरह छोटे बांधों में 5 बार भरने का प्रावधान है। यह हो संशोधन- बड़े व मध्यम बांध मामले में दस साल में 5 बार भरने पर भी ऊंचाई बढ़ाने की छूट हो। इसी तरह छोटे बांधों में यह 30 प्रतिशत हो तो बात बने।
बदलाव की इसलिए जरूरत- राजस्थान में भले ही इस बार अच्छी बारिश हुई हो, लेकिन सामान्यता पानी की कमी रहती आई है। सूखे की स्थिति से भी गुजरता रहा है। यहां का मौसम, वातावरण परिस्थिति दूसरे राज्यों से अलग है। यहां भले ही बांध चार में एक बार ओवरफ्लो हो, लेकिन उसी पानी को सहेजना बेहद जरूरी है।
समाधान के लिए क्या प्रयास- तत्कालीन सरकारों ने मरू प्रदेश का हवाला देते हुए केन्द्र सरकार को गाइडलाइन में बदलाव की जरूरत जताई। राज्यों की जरूरत और परिस्थिति के अनुसार बदलाव करने के लिए कहा गया।
फैक्ट फाइल
- 691 बांध हैं प्रदेश में
- 22 बांध बड़े स्तर के हैं
- 669 बांध मध्य व छोटे श्रेणी के
- 12900 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी स्टोरेज क्षमता
- 388 बांध अभी हैं ओवरफ्लो
- 8 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी पिछले पन्द्रह दिन में बहा बड़े बांधों से