ऐसे में सवाल उठता है कि जेएनवीयू और राजस्थान विश्वविद्यालय की गलतियों से सबक लेकर क्या राज्य के अन्य विश्वविद्यालय कदम उठाएंगे। राज्य में राज्यपाल के निर्देश पर अधिकतर विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क बनाए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों से जांच कराओ
संविधान के प्रति युवाओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए राजभवन के निर्देश पर बनाए जा रहे हैं। ये संविधान पार्क दो से तीन करोड़ की लागत से बन रहे हैं। सभी इन संविधान पार्क पर 50 करोड़ से अधिक खर्च किया जा रहा है। ऐसे में जिन विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क बन चुके हैं और लोकार्पण की तैयारी में है या जिनके लोकार्पण हो चुके हैं। इसके लिए सोमवार को राजभवन ने सभी कुलपतियों को पत्र जारी किया है। तथ्यों और भाषा संबंधी जांच के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं।
चुनिंदा फार्मों के पास ही काम क्यों?
राज्य के वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में गलतियों का एक कारण यह भी है कि संविधान पार्क और संविधान स्तंभ काम का कुछ चुनिंदा फार्मों के पास ही है। ऐसे में जाहिर है कि समय से पहले संविधान पार्क और स्तभ तैयार कर देने के चलते गलतियां सामने आ रही है। राजस्थान विश्वविद्यालय में भी जेएनवीयू विश्वविद्यालय की गलतियों को दोहरा गया है।
दिनभर छात्र संगठनों का प्रदर्शन, कमेटी करेगी जांच
राजस्थान यूनिवर्सिटी में संविधान पार्क लगे स्तंभों पर संविधान की गलत जानकारी अंकित करने के विरोध में कैंपस में छात्र संगठनों का विरोध रहा। एबीवीवी और एनएसयूआई ने कुलपति सचिवालय पर धरना दिया। एबीवीवी कार्यकर्ता कुलपति चैंबर में जाकर बैठ गए और विरोध प्रदर्शन किया। बाद में यूनिवर्सिटी ने मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। जो संविधान पार्क में हुए गलतियों की जांच करेगी।