वहीं बालक 18 दिन में यहां पहुंचा और पुलिस की गाड़ी से उतरते ही माता-पिता से जाकर लिपट गया। इस दौरान माता-पिता और मौके वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गई। गौरतलब है कि लापता बच्चे की बरामदगी को लेकर विभिन्न संगठनों व ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन कर जल्द से जल्द बालक को ढूंढने की मांग की थी। जिस पर पुलिस ने 22 फरवरी को 4 दिन में बच्चे को ढूंढकर लाने की बात कही। इसके बाद पुलिस ने छात्र को दस्तयाब करने में सफलता प्राप्त की।
इस मौके पर एडिशनल डीसीपी ईस्ट सुमन चौधरी ने कहा कि इस सफलता का श्रेय पुलिस की सभी टीमों और सहयोग करने वाले लोगों को जाता है। उन्होंने कहा कि छात्र स्वस्थ है और वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहता है। इस पर पुलिस के आला अधिकारियों ने उसे माता-पिता के सुपुर्द कर दिया।
थानाधिकारी भगवान सहाय ने बताया कि छात्र के लापता होने के बाद से ही करीब चार पांच अलग अलग नंबर से छात्र के पिता राधेश्याम के पास धमकी भरे फोन कॉल्स और मैसेज आए थे, जिनकी सूचना मिलने पर जांच की गई तो वे इंटरनेशनल कॉल्स व मैसेज निकले और संबंधित नंबर दुबई का निकला।
पुलिस के अनुसार 9 फरवरी की रात करीब 2 बजे हाईवे से ट्रक को रुकवाकर छात्र उसमें बैठ गया। उसको रात में अकेला और परेशानी में देखकर बैठा लिया और अपने साथ ले गया। इस दौरान बीते 17 दिनों में आलोक ट्रक ड्राइवर के साथ ही रहा जो यूपी, एमपी और गुजरात तक गया, जहां ड्राइवर ने अपने साथ आलोक के खाने-पीने की सभी सुविधाएं दी।
कानोता थानाधिकारी भगवान सहाय मीणा ने बताया कि बच्चे कि तलाश के लिए डीसीपी ईस्ट के नेतृत्व व एडिशनल डीसीपी के सुपरविजन में पुलिस की टीमों का गठन किया और अलग अलग-जगहों पर सर्च अभियान चलाया गया। वहीं 21 और 25 फरवरी को आलोक के पिता राधेश्याम शर्मा व दोस्त अमन के पास एक ही नंबर से कॉल आई। जिसकी सूचना पर पुलिस ने गुजरात के पंच महल गोदरा के मोरवा पुलिस थाने की टीम के साथ ट्रक ड्राइवर और बालक आलोक को दस्तयाब किया।
आलोक के आने की सूचना पर कानोता थाने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण व विभिन्न संग़ठनों के लोग पहुंचे और पुलिस टीमों के जवानों का माला-साफा पहनाकर स्वागत किया और मिठाई खिलाकर बधाई दी। इस मौके पर जनप्रतिनिधि व विभिन्न संगठनों के लोग मौजूद रहे।