केंद्र में किसी भी दल की सरकार रही हो लेकिन राजस्थान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। 2004 से लेकर 2014 तक यूपीए सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में भी राजस्थान के कई कांग्रेस सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। इनमें नटवर सिंह, शीशराम ओला, नमोनारायण मीणा, गिरिजा व्यास, सीपी जोशी, सचिन पायलट, लालचंद कटारिया और महादेव सिंह खंडेला मंत्री रहे थे। पहले आम चुनाव की बात करें तो 1952 में पहली लोकसभा में राजस्थान से राजबहादुर उपमंत्री और उसके बाद कैबिनेट मंत्री रहे। कालूलाल श्रीमाली 1955 से 1957 तक संसदीय सचिव और 1963 में कैबिनेट मंत्री रहे। सुरेंद्र कुमार डे भी 1962 से 1967 राज्यमंत्री रहे।
ये रहे तीन या उससे अधिक बार मंत्री
प्रदेश से जो नेता तीन या उससे अधिक बार केंद्र में मंत्री रहे उनमें रामनिवास मिर्धा, जगन्नाथ पहाड़िया, अशोक गहलोत, बूटा सिंह, शीशराम ओला हैं। रामनिवास मिर्धा सर्वाधिक चार बार मंत्री रहे जिनमें तीन बार राज्यमंत्री और एक बार कैबिनेट मंत्री रहे। पहाड़िया दो बार उपमंत्री और एक बार राज्यमंत्री रहे। गहलोत एक बार उपमंत्री और दो बार राज्यमंत्री रहे। बूटा सिंह 1984-1989, 1995-1996 और 1998 में कैबिनेट मंत्री रहे। शीशराम ओला एक बार राज्यमंत्री और यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे। अब अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम भी इस सूची में शामिल हो गया है।
ये बने दो बार मंत्री
नाथूराम मिर्धा, नवल किशोर शर्मा, जसवंत सिंह जसोल, राजेश पायलट, गिरिजा व्यास, नमोनारायण मीणा, नटवर सिंह, राजबहादुर सिंह, कालूलाल श्रीमाली दो बार मंत्री रहे। ये रहे एक बार मंत्री
सतीश चंद्र अग्रवाल, वसुंधरा राजे, केके गोयल, अबरार अहमद, जगदीप धनकड़, कल्याण सिंह कालवी, दौलतराम सारण, कैप्टन अय्यूब, सुभाष महरिया, जसकौर मीणा, सीपी जोशी, सचिन पायलट, लालचंद कटारिया, महादेव सिंह खंडेला, भंवर जितेंद्र सिंह, चंद्रेश कुमारी, सांवर लाल जाट, कमल मोरारका, निहालचंद मेघवाल, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सीआर चौधरी, पीपी चौधरी, कैलाश चौधरी हैं।