राज्य में सर्वाधिक लक्ष्य प्राप्ति बांसवाड़ा जिले की रही जहां 92.45 प्रतिशत यानी 36585 में से 33822 पशुओं का बीमा हुआ। वहीं जैसलमेर जिले में प्रदर्शन सबसे खराब रहा जहां 102300 के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 9.21 प्रतिशत यानी 9424 पशुओं का बीमा हो पाया।
योजना के तहत एक पशुपालक अधिकतम दो गाय या भैंस और 10 बकरी, 10 भेड़ या एक ऊंट का बीमा ही करवा सकता है। जिन पशुपालकों के पास अधिक पशु हैं, वे चाहते हैं कि सभी पशुओं का बीमा हो। इसके अलावा योजना का समुचित प्रचार-प्रसार नहीं होने से पशुपालकों को इसकी जानकारी ही नहीं है।
पशुपालन विभाग ने बीमा के लिए 400 करोड़ रुपए का बजट तय किया था। सरकार को उम्मीद थी कि दुधारू गाय, भैंस, भेड़, बकरी और ऊंट के बीमा आवेदन लक्ष्य से अधिक आएंगे जिसके लिए लॉटरी प्रणाली का प्रावधान भी किया गया। हालांकि अब विभाग के लिए लक्ष्य पूरा करना चुनौती बन गया है।
जिले में ऊंटों की संख्या करीब 1 हजार है, लेकिन 22 जनवरी तक केवल 33 ऊंटों का ही बीमा हुआ जिसमें 27 ऊंट और 6 ऊंटनी का ही बीमा हो पाया।
योजना के तहत दुधारू पशुओं की प्राकृतिक या आकस्मिक मौत जैसे आग, सडक़ दुर्घटना, बिजली गिरने, जहरीला घास खाने, कीड़ा काटने या बीमारी से पर क्लेम मिलेगा। गाय, भैंस, ऊंट पर 40,000 रुपए और भेड़, बकरी पर 4,000 रुपए।
पशुपालक मोबाइल ऐप, वेबपोर्टल और किसी भी ई-मित्र केंद्र से नि:शुल्क बीमा करवा सकते हैं। पशुपालन विभाग के चिकित्सक पशुपालकों को जागरूक कर बीमा कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पशुपालन विभाग ने पशुपालकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बीमा की अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 जनवरी कर दी है।
जिले में हमने 65.58 प्रतिशत लक्ष्य अब तक हासिल कर लिया है, 31 जनवरी तक हम 20500 के टारगेट को पूरा करेंगे। इसके लिए विभागीय स्तर पर व्यापक प्रचार प्रसार व पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है।
डॉ. हरीश गुर्जर, जिला पशु चिकित्सा अधिकारी कोटपूतली-बहरोड़