जयपुर में बन रही तुर्की-दुबई स्टाइल की आधुनिक मस्जिद, हवा का ऐसा इंतेजाम कि AC की जरुरत नहीं, गुंबद रहेगा आकृषण का केन्द्र
चार मंजिला मस्जिद का सबसे खास आकृषण इसका गुंबद है, जिसमें चारों ओर खिड़कियां हैं। इसके अलावा भी प्रत्येक मंजिल पर खिड़कियां छोड़ी गई हैं। जिसके चलते पूरी मस्जिद में लगातार हवा की आवाजाही बनी रहती है।
जयपुर। शहरवासियों को अब खूबसूरत और आलीशान मस्जिद का दीदार करने के लिए कहीं ओर जाने की जरुरत नहीं होगी। क्योंकि शहर में एक ऐसी मस्जिद तैयार हो रही है जो मुस्लिम इबादतगाह होने के साथ-साथ कला और स्थापत्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इनदिनों नाहरी का नाका इलाके में बन रही मदीना मस्जिद दुबई और तुर्की की विश्वप्रसिद्ध मस्जिदों की तर्ज पर तैयार हो रही है। जो आधुनिकत सुख सुविधाओं से भी लबरेज होगी।
चार मंजिला मस्जिद का सबसे खास आकृषण इसका गुंबद है, जिसमें चारों ओर खिड़कियां हैं। इसके अलावा भी प्रत्येक मंजिल पर खिड़कियां छोड़ी गई हैं। जिसके चलते पूरी मस्जिद में लगातार हवा की आवाजाही बनी रहती है। कमेटी की मानें तो आगामी एक साल में मस्जिद का काम पूरा होने की उम्मीद है।
ये है मस्जिद की खासियत मस्जिद के आर्किटेक असद गौरी ने बताया कि मस्जिद का बाहरी हिस्सा दुबई की जुमेराह और अंदरुनी हिस्सा तुर्की की ब्लू मस्जिद की तर्ज पर बनाया जा रहा है। यहां एसी और कूलरों की जरूरत नहीं है। मस्जिद में वुजुखाना, नमाज का स्थान, मदरसा, बाथरूम जैसा प्रत्येक हिस्सा सेपरेट है। गुंबद समेत मस्जिद की हाइट करीब 95 फुट रहेगी। कमेटी के अब्दुल कदीर ने बताया कि यहां एक बार में करीब 23 सौ लोग सामूहिक नमाज अदा कर सकते हैं। करीब 16 हजार लीटर पानी की क्षमता का टैंक तैयार किया गया है। कमेटी के सेक्रेट्री हाजी सलाउद्दीन ने बताया कि यहां फायर सेफ्टी सिस्टम, सोलर प्लांट और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया जाएगा।
बेसमेंट शिक्षा को समिर्पित निर्माण कार्य के संयोजक हाजी सईद ने बताया कि मस्जिद का बेसमेंट शिक्षा को समर्पित रहेगा। यहां मदरसा बड़े स्तर पर चलाया जाएगा। जिसमें लाइब्रेरी का भी इंतेजाम रहेगा। हमारा फोकस है कि दीनी तालीम के साथ बच्चों को दुनियावी तालीम भी मिले। कमेटी के अध्यक्ष हाजी रमजान ने बताया कि आगामी रमजान से पूर्व पहली मंजिल का काम पूरा हो जाएगा। हाजी कासम और मस्जिद इमाम मुफ्ती मुमताज ने बताया कि 1 मार्च 2021 को मस्जिद का काम शुरू हुआ, इससे पहले मस्जिद कच्ची हुआ करती थी। स्थानीय निवासी कारी इस्हाक ने बताया कि कोरोनाकाल में आसपास के लोगों ने मस्जिद में काफी श्रमदान किया।