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जयपुर

Rajasthan News : एम-सेण्ड पॉलिसी जारी, एक्शन मोड में आया खान विभाग, जल्द मिलेगा बजरी का सस्ता विकल्प

Rajasthan News : एम-सेण्ड पॉलिसी जारी हो गई है। इसके साथ ही खान विभाग एक्शन मोड में आ गया है। खान विभाग दिसम्बर माह के अंत तक एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना के लिए ई-नीलामी की तैयारी कर रहा है। साथ ही एम-सेण्ड इकाइयों के लिए प्लॉट तैयार कर प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। अब बजरी का सस्ता विकल्प जल्द ही उपलब्ध हो सकेगा। जानें कैसे …

जयपुरDec 05, 2024 / 06:46 pm

Sanjay Kumar Srivastava

M-Sand Policy Released Mines Department in Action Mode Soon a Cheaper Alternative to Gravel Available

सीएम भजनलाल शर्मा व खान एवं भूविज्ञान विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकान्त

Rajasthan News : खान एवं भूविज्ञान विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकान्त ने बताया है कि विभाग दिसम्बर माह के अंत तक एम-सेण्ड प्लॉटों की ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर देगा। विभाग के फील्ड अधिकारियों को एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना के लिए प्लॉट तैयार कर निदेशालय को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रदेश में बढ़ेगा एम-सेण्ड का उत्पादन

मुख्यमंत्री एवं खान मंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार को राज्य की नई एम-सेण्ड पॉलिसी जारी की। जिसके बाद विभाग एक्शन मोड़ में आ गया है। गुरुवार प्रमुख सचिव खान टी. रविकान्त ने सचिवालय में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड की सहज उपलब्धता के लिए नई एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना के लिए प्लॉट तैयार कर ई नीलामी की जाएगी। इससे प्रदेश में एम-सेण्ड का उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही आम नागरिकों को बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड की सहज और सस्ते में उपलब्धत हो सकेगी। सााथ ही प्रदेश में माइनिंग सेक्टर में नया निवेश और रोजगार के अवसर विकसित हो सकेंगे।
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एम-सेण्ड इकाइयों को मिला उद्योग का दर्जा

टी. रविकान्त ने बताया कि नई एम-सेण्ड पॉलिसी में एम-सेण्ड इकाइयों को उद्योग का दर्जा देने के साथ ही राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में विशेष रियायतों दी गई है। नई एम-सेण्ड नीति में प्रदेश में बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
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नई नीति में एम-सेण्ड इकाई की स्थापना पर कई रियायतें

प्रमुख सचिव रविकान्त ने बताया कि बताया कि नई नीति में एम-सेण्ड इकाई की स्थापना की पात्रता में रियायत देते हुए 3 साल के अनुभव व 3 करोड़ के टर्न ऑवर की बाध्यता समाप्त कर दिया गया है। इसी तरह से ऑवरबर्डन पर देय रॉयल्टी को कम किया गया है। वहीं नीलामी के समय एम-सेण्ड यूनिट के लिए दो प्लाट रखने के स्थान पर 5 प्लाट आरक्षित कर आवंटित किया जाएगा। इसके साथ ही ऑवरबर्डन पर देय डीएमएफटी की राशि में छूट, एम-सेण्ड के निर्माण में प्रयुक्त ऑवरबर्डन पर देय रॉयल्टी को कम करने, सरकारी और सरकार से वित पोषित निर्माण कार्यों में बजरी की मांग के आपूर्ति में 50 प्रतिशत एम-सेण्ड के उपयोग की अनिवार्यता तय की गई है। ताकि प्रदेश में बजरी के विकल्प के रुप में सरकारी निर्माण कार्यों में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देना है।
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अधिक से अधिक होगी एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना

रविकान्त ने बताया कि विभाग का जोर अब एम-सेण्ड इकाइयों की अधिक से अधिक स्थापना करना है। सरकारी व सरकार से वित पोषित निर्माण कार्यों में बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड का 25 प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करना है। विभाग एम-सेण्ड के उत्पादन में प्रतिवर्ष 20 फीसदी बढ़ोतरी के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ेगा।

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