प्रदेश में बढ़ेगा एम-सेण्ड का उत्पादन
मुख्यमंत्री एवं खान मंत्री
भजनलाल शर्मा ने बुधवार को राज्य की नई एम-सेण्ड पॉलिसी जारी की। जिसके बाद विभाग एक्शन मोड़ में आ गया है। गुरुवार प्रमुख सचिव खान टी. रविकान्त ने सचिवालय में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड की सहज उपलब्धता के लिए नई एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना के लिए प्लॉट तैयार कर ई नीलामी की जाएगी। इससे प्रदेश में एम-सेण्ड का उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही आम नागरिकों को बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड की सहज और सस्ते में उपलब्धत हो सकेगी। सााथ ही प्रदेश में
माइनिंग सेक्टर में नया निवेश और रोजगार के अवसर विकसित हो सकेंगे।
एम-सेण्ड इकाइयों को मिला उद्योग का दर्जा
टी. रविकान्त ने बताया कि नई एम-सेण्ड पॉलिसी में एम-सेण्ड इकाइयों को उद्योग का दर्जा देने के साथ ही राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में विशेष रियायतों दी गई है। नई एम-सेण्ड नीति में प्रदेश में बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
नई नीति में एम-सेण्ड इकाई की स्थापना पर कई रियायतें
प्रमुख सचिव रविकान्त ने बताया कि बताया कि नई नीति में एम-सेण्ड इकाई की स्थापना की पात्रता में रियायत देते हुए 3 साल के अनुभव व 3 करोड़ के टर्न ऑवर की बाध्यता समाप्त कर दिया गया है। इसी तरह से ऑवरबर्डन पर देय रॉयल्टी को कम किया गया है। वहीं नीलामी के समय एम-सेण्ड यूनिट के लिए दो प्लाट रखने के स्थान पर 5 प्लाट आरक्षित कर आवंटित किया जाएगा। इसके साथ ही ऑवरबर्डन पर देय डीएमएफटी की राशि में छूट, एम-सेण्ड के निर्माण में प्रयुक्त ऑवरबर्डन पर देय रॉयल्टी को कम करने, सरकारी और सरकार से वित पोषित निर्माण कार्यों में बजरी की मांग के आपूर्ति में 50 प्रतिशत एम-सेण्ड के उपयोग की अनिवार्यता तय की गई है। ताकि प्रदेश में बजरी के विकल्प के रुप में सरकारी निर्माण कार्यों में एम-सेण्ड के उपयोग को बढ़ावा देना है।
अधिक से अधिक होगी एम-सेण्ड इकाइयों की स्थापना
रविकान्त ने बताया कि विभाग का जोर अब एम-सेण्ड इकाइयों की अधिक से अधिक स्थापना करना है। सरकारी व सरकार से वित पोषित निर्माण कार्यों में बजरी के विकल्प के रुप में एम-सेण्ड का 25 प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करना है। विभाग एम-सेण्ड के उत्पादन में प्रतिवर्ष 20 फीसदी बढ़ोतरी के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ेगा।