राजस्थान में विधानसभा चुनावों (
Rajasthan Vidhan Sabha Election 2018 ) से ठीक पहले की बात है जब पूर्व वित्त, विदेश और रक्षामंत्री जसवंत सिंह (
Jaswant Singh ) के पुत्र मानवेंद्र सिंह भाजपा से शिव विधायक थे। सिंह ने बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली बुलाई और चुनाव से पहले ‘कमल का फूल मेरी भूल’ कहते हुए भाजपा छोड़ पार्टी को तगड़ा झटका दे दिया। यही नहीं मानवेंद्र के साथ-साथ उनके हजारों समर्थकों ने भी भाजपा छोड़ दी।
मानवेंद्र ने भाजपा छोड़ते वक़्त कहा कि वे 2014 के लोकसभा चुनावों में पिता जसवंत सिंह के टिकट कटने से नाराज थे। लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद से जसवंत सिंह के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने के बाद से मानवेंद्र को भाजपा में कोई तवज्जों नहीं दी जा रही थी। इसके बाद उपेक्षा से नाराज मानवेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़ने का फैसला लिया।
मानवेंद्र ने बीजेपी छोड़ते वक़्त ये भी कहा कि ‘चार साल तक सरकार ने हमारे लोगों को प्रताड़ित किया, उनके तबादले किए, झूठे मामले भी दर्ज किए साथ ही चतुरसिंह व आनंदपाल प्रकरण में सुनवाई नहीं हुई। जो भी हमसे जुड़े थे उनको परेशान किया। उस वक़्त कोई सुनने वाला नहीं था। इधर, मेरे पिता बीमार थे और परिवार की परिस्थितियां अलग थीं। ऐसे में चार साल तक कुछ नहीं बोल पाया। लोग कहते रहे कि बोलते क्यों नहीं हो। आज चुप्पी तोड़ रहा हूं, बहुत कुछ सहा है। जब कहीं सुनवाई नहीं हो तो धैर्य जवाब दे जाता है और अब मेरा धैर्य समाप्त हो गया है। खुलकर बोलने का वक्त आ गया है’।
वहीं, भाजपा छोड़ने के कुछ दिनों बाद कर्नल मानवेंद्र सिंह दिल्ली में राहुल गांधी ( Congress President Rahul Gandhi ) से मुलाकात कर उनके आवास पर ही कांग्रेस में शामिल (
manvendra singh Joins Congress ) हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने मानवेंद्र को वसुंधरा राजे के गढ़ झालरापाटन से चुनाव लड़ाया। यहां मुकाबला वसुंधरा राजे से था मानवेंद्र ये चुनाव हार गए।
लेकिन कांग्रेस में शामिल होते समय और विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले ही मानवेंद्र ने साफ़ कर दिया था कि वे लोकसभा का चुनाव ही लड़ेंगे, झालरापाटन से कांग्रेस पार्टी उन्हें खुद चुनाव लड़वा रही है।
वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 के लिए कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह पर भरोसा जताते हुए उन्हें बाड़मेर लोकसभा सीट ( Barmer Lok Sabha Seat ) से टिकट दिया। यहां मानवेंद्र का मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी से है। साथ ही अब बाड़मेर सीट पर मुकाबले के लिए बसपा से एक चर्चित उम्मीदवार और शामिल हो गया है। बसपा ने बर्खास्त आईपीएस पंकज चौधरी को यहां से टिकट देकर अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
आपको बता दें कि कांग्रेस से प्रत्याशी कर्नल मानवेंद्र सिंह ( Congress Candidate manvendra singh ), भाजपा से कैलाश चौधरी ( Barmer BJP Candidate
kailash choudhary ) और बसपा से पूर्व आईपीएस पंकज चौधरी ( Ex.
IPS Pankaj Choudhary ) ने सोमवार को बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल कर दिया है। मानवेंद्र सिंह और कैलाश चौधरी ने चार-चार नामांकन फॉर्म भरे तो बसपा से पंकज कुमार चौधरी ने एक फॉर्म भरकर जिला निर्वाचन अधिकारी को पेश किया।
मानवेंद्र सिंह का राजनीतिक जीवन ( About Manvendra Singh Political Carrier )
– मानवेंद्र सिंह का जन्म 19 मई 1964 को जोधपुर के राजपूत परिवार में हुआ।
– मेयो कॉलेज से एमए
– मैसेच्युएट्स के हैम्पशायर कॉलेज और लन्दन के स्कूल ऑफ़ ओरिएन्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ से भी उच्च शिक्षा प्राप्त की
– सेना में कर्नल के पद पर रहे, बतौर पत्रकार डिफेन्स और राष्ट्रीय सुरक्षा मामले के रहे विषय विशेषज्ञ
– सेना में रहते हुए कारगिल जंग का भी रहे हिस्सा
– 90 के आखिरी दशक में राजनीति में ली एन्ट्री
– 1999 में बाड़मेर-जैसलमेर से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, पर कांग्रेस के सोनाराम से हार गए
– 2004 में फिर लोकसभा चुनाव लड़ा, इस बार सोना राम को ही दे दी 2 लाख 71 हज़ार 888 मतों से शिकस्त
– बाड़मेर-जैसलमेर से बने लोकसभा सांसद
– मनमोहन सिंह सरकार के दौरान रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति के रहे सदस्य
– 2013 में शिव विधानसभा क्षेत्र से चुने गए भाजपा विधायक
– 2014 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते किया निलंबित
– 2018 विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस में शामिल होने के लिए बीजेपी छोड़ी
– विधानसभा चुनाव 2018 में वसुंधरा राजे के सामने चुनाव लड़ा, हार मिली
– लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बाड़मेर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी चुने गए।