उस समय प्रति वोटर पर 67 पैसा खर्च हुआ था, लेकिन इसके पांच साल बाद फिर चुनाव हुआ तो यह राशि घट गई। इसके बाद 1971 तक राशि के घटने और बढ़ने का क्रम लगातार जारी रहा। वर्ष 1977 के चुनाव में प्रति वोटर खर्च राशि में उछाल आया और यह राशि बढ़कर 1.26 रुपए हो गई। इसके बाद लगातार खर्च राशि में इजाफा होता गया। प्रदेश में अब तक 17 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं।
पहले चुनाव से लेकर 2004 तक के लोकसभा चुनाव में प्रति वोटर पर खर्च राशि में लगातार उतार-चढ़ाव देखा गया। लेकिन इसके बाद यह तेजी से बढ़ी। बढ़ती महंगाई के साथ-साथ प्रति व्यक्ति खर्च राशि में भी बढ़ोतरी हुई।
2014 में आया बड़ा बदलाव
वर्ष 1996 में लोकसभा चुनाव खर्च की सीमा 1.5 लाख से 4.5 लाख पहुंच गई। वर्ष 1998 में इसे 15 लाख किया गया और बाद में 2004 के लोकसभा चुनाव में इस राशि को बढ़ाकर 25 लाख रुपए कर दिया। वर्ष 2014 में 70 लाख रुपए खर्च सीमा तय कर दी। अब 2024 के चुनाव में 95 लाख रुपए तय की जा चुकी है। चुनावी खर्च बढ़ने की बड़ी वजह महंगाई और हर लोकसभा सीट पर बढ़ती आबादी है। राजनीतिक दलों का चुनावी खर्च लगातार बढ़ा है। इसके साथ-साथ प्रति वोटर पर चुनाव के समय खर्च की जाने वाली राशि में भी इजाफा हुआ है।
यूं बढ़ी चुनावी खर्च की सीमा
1952 के पहले लोकसभा चुनाव में हर उम्मीदवार के लिए अधिकतम खर्च की सीमा 25 हजार रुपए तय की थी। वर्ष 1971 में 35 हजार और 1980 में 1 लाख रुपए की खर्च सीमा तय की। वर्ष 1984 में यह सीमा 1.5 लाख हो गई, लेकिन यह राशि धीरे-धीरे बढ़ती चली गई।
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वर्ष | कुल खर्च (राशि लाखों में) | प्रति व्यक्ति खर्च |
1952 | 51.12 | 0.67 |
1957 | 51.36 | 0.59 |
1962 | 47.91 | 0.46 |
1967 | 66.50 | 0.54 |
1971 | 78.64 | 0.59 |
1977 | 191.98 | 1.26 |
1980 | 309.29 | 1.7 |
1984 | 522.05 | 2.6 |
1989 | 1004.73 | 3.89 |
1991 | 1455.55 | 5.48 |
1996 | 2251.00 | 7.41 |
1998 | 2564.05 | 8.62 |
1999 | 2506.00 | 8.05 |
2004 | 2503.50 | 7.21 |
2009 | 6394.73 | 17.26 |
2014 | 15783.00 | 32.24 |
2019 | 15429 | 31.52 |