हालांकि यह दिन मां लक्ष्मी को समर्पित माना गया है और प्राय: सुहागिन स्त्रियां ये व्रत रखती हैं पर पुरुष भी वरलक्ष्मीजी की पूजा और व्रत रख सकते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत से माता लक्ष्मी के आशीर्वाद के रूप में कई लाभ मिलते हैं। खास बात यह है कि इस व्रत को करने से जातक को मां लक्ष्मी के साथ मां सरस्वती का भी विशेष आशीर्वाद मिलता है. संपत्ति के साथ ही ज्ञान में भी वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, इस व्रत को करने से गणेशजी की कृपा भी प्राप्त होती है. विघ्न विनाशक के आशीर्वाद से अधूरे या रुके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं।
इस तरह करें पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार मां वरलक्ष्मी धन की देवी लक्ष्मीजी का एक रूप हैं. इस दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा करना चाहिए. एक थाली में लाल वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, धूप—दीप आदि से लक्ष्मीजी के साथ ही सरस्वतीजी और गणपतिजी की मूर्ति या तस्वीरों की भी पूजा करें। घी का दीपक जलाकर वरलक्ष्मी व्रत की कथा पढ़ें। पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद बांटें।