परिवादी ने कहा मंजू के नाम पर मांगी रिश्वत
एसीबी ने कुमार विश्वास की पत्नी आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा को एफआइआर में नामजद किया जबकि अन्य सदस्यों की भूमिका संदिग्ध बताई है। परिवादी ने कहा है कि गोपाल ने मंजू के नाम पर रिश्वत मांगी थी। अनिल ने परिवादी को आरपीएससी चेयरमैन व अन्य सदस्य से जानकारी का हवाला देते हुए केसावत से मिलवाया था। पीड़ित के परिवाद पर ही एफआईआर दर्ज की गई है। परिवादी ने अपनी शिकायत में आयोग के चेयरमैन व अन्य महिला सदस्य पर भी आरोप लगाए हैं।
कुमार विश्वास की पत्नी RPSC सदस्य मंजू शर्मा पर एसीबी ने दर्ज की FIR
गोपाल केसावत गए जेल
एसीबी ने राज्य घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष गोपाल केसावत व तीन अन्य को 18.50 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार गोपाल केसावत जयपुर के प्रताप नगर में कुम्भा मार्ग, ब्रह्मप्रकाश दिल्ली, अनिल कुमार धरेन्द्र हनुमानगढ़ टाउन तथा रवीन्द्र शर्मा टिब्बी निवासी हैं। एसीबी ने गिरफ्तार आरोपियों को रिमांड पर लेने की बजाय कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।
40 लाख में पद का सौदा
मुख्य परिवादी एडवोकेट हरदीपसिंह सुंदरिया और दूसरे परिवादी सुंदर ने एसीबी सीकर को 7 जुलाई को लिखित में परिवाद पेश किया। इसमें बताया कि भर्ती मेरिट में लाने के लिए आरोपी अनिल कुमार ने आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा व आरपीएससी चेयरमैन के नाम से यह कहकर रुपए मांगे कि ये दोनों 40 लाख रुपए लेंगे। 25 लाख रुपए पहले व शेष 15 लाख रुपए भर्ती के बाद लेंगे। इसके बदले में अभ्यर्थी विकास को मेरिट में लाकर ईओ के पद पर नौकरी लगवा देंगे। उक्त मामले की एसीबी ने एफआईआर दर्ज की।
ओएमआरसीट देखकर बताया कि 20 सवाल गलत
आरोपी गोपाल केसावत ने ओएमआर सीट देखकर बताया था कि उसके 62 सवाल सही और 20 सवाल गलत हैं। इस पर विकास और उसके परिजन को विश्वास हो गया। 40 लाख में सौदा भी तय कर लिया। 25 लाख पहले व 15 लाख भर्ती होने के बाद देने की बात कही। इस पर विकास सहित दोनों परिवादी ने एसीबी में शिकायत दी।
18.50 लाख रुपए रिश्वत ली, पूर्व राज्यमंत्री केसावत सहित 4 गिरफ्तार
डीजी बोले…गिरफ्तार आरोपी गैर सरकारी व्यक्ति
ईओ भर्ती परीक्षा में पास करवाने के नाम पर 18.50 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद 28 घंटे की मौखिक जांच पर एसीबी ने आरपीएससी को क्लीन चिट दे दी। एसीबी ने सबूतों की जांच की ही नहीं। वहीं, एसीबी ने पहली बार आरोप लगने वाले रसूखदारों को क्लीन चिट देने के लिए प्रेसवार्ता बुलाई। सूत्रों के अनुसार नकल मामले में सरकार की फिर से किरकिरी होने के बाद रविवार को अवकाश के बावजूद एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी और आईजी सवाई सिंह गोदारा एसीबी मुख्यालय पहुंचे और आरपीएससी का बचाव करते हुए कहा कि गिरफ्तार आरोपी गैर सरकारी व्यक्ति है और ठग की तरह रिश्वत ली है।
Q आरपीएससी को क्लीन चिट देने के लिए प्रेसवार्ता बुलाई है क्या?
डीजी : क्लीन चिट देने के लिए नहीं, हजारों अभ्यर्थियों में भ्रम हो गया। आपके जरिए कहना है कि यह ठगी है और ऐसे ठगों के चक्कर में नहीं फंसें। एसीबी के 1064 नंबर पर कई सूचनाएं आ रही हैं और उसके जरिए कई बड़ी कार्रवाई की गई। कोई भी 1064 पर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सूचना दे सकता है।
Q आरोपी गोपाल केसावत का किससे संबंध था?
डीजी : अभी तक केसावत का किसी भी भर्ती प्रक्रिया से और आरपीएससी सदस्य, अधिकारी व कर्मचारी से जुड़े होने का साक्ष्य सामने नहीं आया।
Q अनुसंधान शेष है, कैसे कह रहे कि आरपीएससी की भूमिका नहीं?
डीजी : अभी हमें विश्लेषण करना है। मोबाइल डेटा, बैंक अकाउंट, आरोपियों के आपस में संबंध आदि की जांच कर रहे हैं।
Q परिवादी की बहन ने परीक्षा नहीं दी, यह जानकारी आरोपियों को कैसे मिली?
डीजी : ऐसी जानकारी नहीं है। यदि आपके पास जानकारी आई है तो इसकी तस्दीक करेंगे।
Q स्थानीय पुलिस को प्रकरण क्यों नहीं दिया?
डीजी : आरपीएससी के नाम पर शिकायत की गई थी। अभी मामला मोटा-मोटा पूरी तरह से ठगी का लग रहा है।
Q सवाल : ठगी की है तो और भी लोग शिकार हुए हैं?
डीजी : यह सब जांच में सामने आएगा। हम भी संपर्क करेंगे। लोग भी ऐसे लोगों के झांसे में नहीं आए और कोई इस प्रकार ठगी करने का झांसा देता है तो उसकी एसीबी को सूचना दें
Q सदस्य कटारा की भूमिका सामने आ चुकी,
डीजी : अभी तक किसी भी आरपीएससी सदस्य से आरोपियों का संपर्क नहीं होना सामने आया है