scriptKotputli Borewell Accident: 8 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना आज आएगी बाहर! इन 9 पॉइंट से समझें रेस्क्यू में क्यों हुई देरी? | Kotputli Borewell Accident Rescue operation to take Chetna out of the borewell continued for 8 days | Patrika News
जयपुर

Kotputli Borewell Accident: 8 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना आज आएगी बाहर! इन 9 पॉइंट से समझें रेस्क्यू में क्यों हुई देरी?

किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में तीन वर्षीय बालिका चेतना 8वें दिन भी बोरवेल में फंसी हुई है। माना जा रहा है कि चेतना को आज बोरवेल से बाहर निकाला जा सकेगा।

जयपुरDec 30, 2024 / 10:10 am

Anil Prajapat

Kotputli Borewell Accident
कोटपूतली। किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में तीन वर्षीय बालिका चेतना 8वें दिन भी बोरवेल में फंसी हुई है। बालिका को बोरवेल से बाहर निकालने के लिए इसके सामानान्तर 170 फीट तक 36 इंच (एक हजार मिली मीटर) व्यास के दूसरे बोरवेल की खुदाई कर बालिका तक पहुंचने के लिए प्रयास जारी है।
माना जा रहा है कि आज दोपहर बाद टीम चेतना तक पहुंच जाएगी और उसे बोरवेल से बाहर निकाला जा सकेगा। रेस्क्यू अभियान में जुटे जवान अब तक करीब 7 फीट टनल की खुदाई कर चुके हैं। अब सिर्फ 2 ​फीट की खुदाई बाकी है। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि आखिर रेस्क्यू में इतनी देरी क्यों हुई?
Kotputli Borewell Accident
बात दें कि शनिवार दोपहर 4 बजे से टनल बनाने का कार्य शुरू किया था। लेकिन पत्थर कठोर होने से बीते रविवार 4 बजे तक 4 फीट तक की खुदाई हो सकी। इसके बाद भीलवाडा, अजमेर व खेतड़ी कॉपर से खान विशेषज्ञों को बुलाया गया। तब जाकर आज सुबह 8 बजे तक 7 फीट खुदाई हो पाई। दावा किया जा रहा है कि टीम आज बच्ची तक पहुंच जाएगी।

जानें क्यों हुई रेस्क्यू में देरी?

कीरतपुरा की ढाणी बडियावाली में खेलते समय तीन साल की चेतना 23 दिसम्बर को दोपहर 2 बजे 150 फीट नीचे बोरवेल में गिर गई थी। बच्ची आठ दिन से बोरवेल में भूखी प्यासी है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर रेस्क्यू में देरी क्यों हुई?
1. प्लान ए के तहत जुगाड़ तंत्र हुक के सहारे बालिका को ऊपर लाने का प्रयास किया। चार बार प्रयास के बाद भी देशी जुगाड़ फेल हो गया। हालांकि, हुक के सहारे 15 फीट ऊपर तक बालिका को लाया गया था। लेकिन, इसके बाद बोरवेल की मिट्टी ढहने से रेस्क्यू रोक दिया था।
    2. इसके बाद 25 दिसम्बर को प्लान बी के तहत दूसरी बोरवेल से खुदाई का कार्य शुरू किया, लेकिन 140 फीट नीचे पथरीली जमीन आने से दूसरी मशीन से खुदाई करवाने में समय लगा।
    3. पथरीली जमीन में मैन्यूअली ड्रिल मशीन से पत्थर की कटाई में समय लगा।

    4. 27 दिसंबर को बारिश के कारण रेस्क्यू में काफी बाधा आई। रातभर काम रोकने के साथ ही दिन में भी कई बार रेस्क्यू रोका गया था।
    5. 28 दिसंबर को 170 फीट खुदाई के बाद सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ। लेकिन, पत्थर और अधिक कठोर होने से हॉरिजेन्टन सुरंग बनाने में कई चुनौतियों को सामान करना पड़ रहा है।

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    6. सुरंग की खुदाई करते समय धूल उड़ने से कार्य करने में परेशानी हो रही है। जवानों की आंखों, नाक व मुंह में धूल जा रही है। इसके लिए विशेष चश्में व मास्क मुहैया कराए गए हैं।
    7. पत्थर नुकीले व टेढे़ मेढे़ होने से इन पर बैठ कर कार्य करना मुश्किल हो रहा है।

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    8. बाहर जहां सर्दी अधिक है, वहीं बोरवेल के अन्दर का तापमान 35 डिग्री से अधिक है। ऐसे में भी जवानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
    9. 170 फीट गहराई में ऑक्सीजन लेवल भी कम होने के कारण हर 20 मिनट में जवानों को बाहर लाना पड़ रहा है, जिसके कारण भी देरी हो रही है।

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