पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कोटा जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौत मामले को आहत करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि कोटा के इसी अस्पताल में प्रशासन की लापरवाही के चलते पिछले वर्ष भी केवल एक माह में ही सैंकड़ों बच्चों की मौत हुई थी। लेकिन सरकार ने अपनी किरकिरी से बचने के लिए उस समय भी दोषियों को बचाने का काम किया था।
संवेदनहीनता की हद है सरकार की: पूनिया
वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने शिशुओं के मौत घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि ये कांग्रेस नीत राज्य सरकार की संवेदनहीनता की हद है। उन्होंने कहा कि कोटा के सरकारी अस्पताल में 9 नवजात बच्चों की मौत हो गई जबकि पिछले साल यहीं पर 35 दिन में 107 बच्चों की मौत हुई थी। इसके बावजूद भी सरकार नहीं चेती। पूनिया ने सन्देश में कहा, ‘जागो सरकार जागो, नहीं तो भागो।’
पूर्व चिकित्सा मंत्री व उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी इस घटनाक्रम को शर्मसार करने वाला और प्रशासन की संवेदनहीनता की हद पार करने वाला करार दिया है। राठौड़ ने कहा कि एक भी शिशु की मौत होना मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली बात है। सरकार उन पीड़ित परिजनों की व्यथा को समझे जिन्होंने अपना बच्चा खोया है और इस मामले की त्वरित जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी सरकार पर ज़बानी हमला बोलते हुए इसे अत्यंत दुःखद व शर्मनाक घटना करार दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार दिवगंत नवजातों की माताओं के दिल के दर्द को महसूस करते हुए जिम्मेदारी तय करे।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कोटा अस्पताल में शिशुओं की मौत मामले पर अस्पताल प्रशासन को ‘क्लीन चिट’ दे दी है। उन्होंने एक भी शिशु की मौत को प्रशासनिक या डॉक्टरी लापरवाही से नहीं होना माना है।
कोटा के जेके लोन अस्पताल मे महज़ 24 घंटो में 9 नवजात मौत की भेंट चढ़ गए। सामने आया है कि अस्पताल के एफबीएनआईसीयू वार्ड में पर्याप्त स्टाफ व सुविधाओं का अभाव है। नौबत ये है कि एक वार्मर पर दो से तीन बच्चे वार्डों में भर्ती हैं। साथ ही वर्तमान में चल रहे कोरोना संक्रमण को लेकर भी अस्पताल स्थित वार्डों मे विशेष इंतजाम नदारद हैं। जेकेलोन के एक वार्मर पर भर्ती दो बच्चे।