राठौड़ ने कहा कि कोटा रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में कई तरह की गड़बड़ियां हैं। सरकार ने बगैर एनजीटी से पर्यावरण सम्बन्धी मंज़ूरी लिए इसे शुरू कर दिया। इसे गैरकानूनी ढंग से निर्माण करवाकर सरकार चुनावी साल में वाह-वाही लूटने का काम कर रही है।
राठौड़ ने कहा कि कोटा की तर्ज पर अजमेर में भी एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाकर ‘सेवन वंडर पार्क’ बनाया गया है, जिसे अब तोड़ने की कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार का कोई भी काम सीधा और स्पष्ट नहीं है। सभी में शर्तें लागू हैं। उन्होंने सवाल करते हुए पूछा कि आखिर यह किसका पैसा खर्च किया? सरकार को पैसे का इस तरह इस्तेमाल करने का हक किसने दिया?
राठौड़ ने महंगी बिजली खरीद पर भी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महंगी बिजली खरीद रही है। यहां तक की अडानी से भी महंगी बिजली खरीदी जा रही है। सरकार ने 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की, लेकिन उसपर भी रजिस्ट्रेशन की शर्त लगा दी। आखिर यह माजरा क्या है?
… तो आ सकते हैं रिवर फ्रंट तोड़ने के आदेश: गुंजल
भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल भी इस प्रोजेक्ट को लेकर गहलोत सरकार पर हमलावर बने हुए हैं। उनका कहना है कि चंबल रिवर फ्रंट का निर्माण सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों का खुला उल्लंघन है और इसमें वाइल्ड लाइफ के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही में अजमेर के आनासागर में सेवन वंडर को तोड़ने के आदेश हुए थे। अब इसी तर्ज पर किसी भी वक्त सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी रिवर फ्रंट तोड़ने के भी आदेश कर सकते हैं। पूर्व विधायक ने कहा कि जनता के पैसे की बर्बादी के लिए कौन होगा जिम्मेदार बताएं?