नेशनल क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने सोशल मीडिया पर लोगों को बताया कि किसी फल के स्टीकर का कोड अगर 9 से शुरू होता है और यह संख्या पांच अंकों की है (जैसे 90412) तो यह फल जैविक रूप (ऑर्गेनिक तरीके) से उगाया गया है। यह फल आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
वहीं, अगर किसी फल का कोड 8 से शुरू होता है और यह पांच अंकों का है (जैसे 80412) तो फल में आनुवंशिक संशोधन किया गया है। इस तरह के फल गैर जैविक फल (इन ऑर्गेनिक) होते हैं। इसके साथ ही अगर फल पर केवल चार अंक हैं (जैसे 4026) तो ऐसे फल कीटनाशकों और रसायनों से उगाए गए हैं। ये फल जैविक फलों की तुलना में सस्ते होते हैं, लेकिन सेहत के लिए नुकसान दायक होते हैं।
खाद्य सुरक्षा विभाग भी कर चुका आगाह
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण एडवाइजरी जारी कर चुका है कि व्यापारी फलों को बढ़िया दिखाने के लिए स्टीकरों का प्रयोग न करें। फलों पर लगे स्टीकर के कोड का मतलब उन्हें खुद भी पता होना चाहिए और आमजन को भी बताया जाना चाहिए। स्टीकर बॉक्स या पैकेजिंग पर लगाए जाने चाहिए न कि फल और सब्जी पर। अमूमन स्टीकर पर लगा गोंद बेहद खराब क्वालिटी का होता है। यह फलों को खराब करता है और कैंसर जैसी बीमारी का कारण भी बनता है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत फल और सब्जियों में मोम, खनिज तेल, रंगों की पॉलिश नहीं की जा सकती है।
फल अवशोषित करते हैं चिपचिपा रसायन
फल या सब्जी की सतह पर रोम छिद्र होते हैं, जो सब कुछ अवशोषित कर लेते हैं। सर्वेक्षणों में पाया गया है कि स्टीकरों में लगा गोंद कैंसर व कई अन्य तरह के संक्रमण और बीमारियां दे सकता है। धूप में जब ये फल और सब्जियां खुले में बिकती हैं तो सूर्य की रोशनी से हानिकारक स्टीकर के गोंद का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है। खाद्य सुरक्षा विभाग की उपभोक्ताओं को सलाह
- स्टीकर लगे फल और सब्जियां जरूरी नहीं कि प्रीमियम क्वालिटी के हों।
- खरीदने से पहले कोड का मतलब समझें और खाने से पहले स्टीकर हटा दें।
- उपभोक्ता फल पर लगे स्टीकर वाली जगह का छिल्का आवश्यक रूप से हटा दें।
फलों पर जो स्टीकर्स होते हैं, वे प्रीमियम क्वालिटी की गारंटी नहीं होते हैं। कई बार फल का सड़ा-गला भाग छिपाने के लिए भी स्टीकर लगा दिया जाता है। फलों की फ्रेशनेस को परखना जरूरी है। ध्यान रखें कि फलों पर लगने वाले स्टीकर का ग्लू (गोंद) टॉक्सिक भी हो सकता है, जो आपकी सेहत खराब कर सकता है। - अशोक गुप्ता, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
फलों पर मेन्यूफेक्चरर्स ही स्टीकर्स लगाकर भेजते हैं। ये ट्रेंड विदेशों से भारत में आया है जबकि विदेशों में जिस फार्म के फ्रूट्स होते हैं उसका नाम, एक्सपायरी और ऑर्गेनिक तरीके से उगाए गए हैं या नहीं इसकी जानकारी होती है। भारत में कुछ फलों पर कंपनियों के नाम और कोड तो कुछ में केवल साधारण स्टीकर्स लगा दिए जाते हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता है। आमजन इसे गुणवत्तापूर्ण मान लेते हैं। जबकि स्टीकर्स किसी भी फल की गुणवत्ता का आधार नहीं है। - मुकेश खिलवानी, अध्यक्ष, फल-सब्जी मंडी एसोसिएशन