उन्होंने कहा कि किसानों की दुर्दशा की जिम्मेदार सिर्फ कांग्रेस ही है। चुनावों के समय घोषणा पत्र में किसानों की ऋण माफी को लेकर बड़े-बड़े वायदे किए थे मगर कर्ज माफी तो दूर की बात है अब किसानों की जमीनें नीलाम करने की होड़ लगी हुई है। सरकार 9 हजार किसानों की जमीनों की नीलामी की तैयारी हो चुकी है, जिसमें इन्होंने शहीदों के परिवारों को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा एक वर्ष पूर्व बैंको की कमेटी मीटिंग में सरकार को बता दिया गया था कि 2018 के बाद लगभग 1 लाख 20 हजार किसानों का एनपीए हो गया है। इसकी लिस्ट सरकार के पास थी। बैंको द्वारा सरकार को यह सुझाव भी दिया गया कि 10 या 30 प्रतिशत के वनटाइम सेटलमेंट से 3 हजार करोड़ का मामला सस्ते में ही सुलझ जाएगा, लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और अपनी कुर्सी बचाने में ही व्यस्त रही।
सत्त में रहने का कोई अधिकार नहीं राज्यवर्धन ने कहा कि दस तक की काउंटिगं करते हुए राहुल गांधी ने यह क्यों नहीं बताया कि किस किसान का कर्ज माफ होगा, कितना होगा और किसका होगा ही नहीं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह कहकर किसानों को भ्रमित किया गया कि उनका कर्ज माफ कर दिया गया है। कर्नल राज्यवर्धन ने कहा पिछले तीन वर्षों में राज्य सरकार ने हर गम्भीर मामला केन्द्र के पाले में डालने का ही काम किया है। कांग्रेस को अगर अपनी जिम्मेदारियों से भागना ही है तो फिर उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।