scriptकाला कानून लाने के बाद 14 दिन चला सदन, हर दिन गूंजा काला कानून | kala kanoon timeline | Patrika News
जयपुर

काला कानून लाने के बाद 14 दिन चला सदन, हर दिन गूंजा काला कानून

काला कानून पहले दिन से ही विधानसभा और प्रदेशभर में गूंजता रहा। एक नजर काले कानून के सफर पर-

जयपुरFeb 20, 2018 / 09:52 am

Santosh Trivedi

kala kanoon
जयपुर। भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने के लिए मीडिया, अदालत और आमजन को कानून के दायरे में बांधने की मंशा से लाया गया काला कानून पहले दिन से ही विधानसभा और प्रदेशभर में गूंजता रहा।

राजस्थान पत्रिका ने इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोला तो हर दिन सदन में और बाहर लोग विरोध में खड़े हो गए। मानसून और बजट सत्र में विधानसभा की अब तक 14 बैठकें हुई और हर दिन काले कानून का विपक्ष ही नहीं, सत्तापक्ष के लोगों ने भी विरोध किया। यही कारण रहा कि पत्रिका की काला कानून को लेकर शुरू की गई मुहिम ‘जब तक काला, तब तक ताला’ के सामने सरकार को झुकना पड़ा।
मानसून सत्र में काले कानून का विधेयक लाए जाने की भनक लगी तो पहले ही दिन से इसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया। इस कानून के जरिए जनता और मीडिया पर सरकार कैसे पाबंदी लगाएगी, पत्रिका ने ही इसका खुलासा किया और हर पक्ष बेबाकी से जनता तक पहुंचाया। इसके साथ ही प्रदेश में इस कानून का चौतरफा विरोध शुरू हो गया। मानसून सत्र चार दिन चला और हर दिन हुए हंगामे के चलते इस कानून को प्रवर समिति को सौंपना पड़ा। लेकिन पत्रिका ने जनहित में इसका विरोध लगातार जारी रखा।
काले कानून का सफर

मानसून सत्र 2017
– 23 अक्टूबर : विधानसभा के मानसून सत्र की पहली बैठक 23 अक्टूबर को हुई लेकिन विधानसभा में पेश होने वाले इस कानून को लेकर पत्रिका ने पहले ही हकीकत जनता के सामने रख दी थी। ऐसे में सदन में सचिव ने जैसे ही विधेयकों को सदन में रखा, विपक्ष ने भारी विरोध किया। विपक्ष के वॉक आउट और विरोध के कारण सदन की कार्रवाई अगले दिन तक स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वरी डूडी, रमेश मीणा, गोविन्द सिंह डोटासरा, निर्दलीय मानिकचंद सुराणा सहित पूरे विपक्ष ने विरोध किया। सत्तापक्ष के घनश्याम तिवाड़ी ने तो इसके विरोध में सदन में धरने पर बैठने की चेतावनी दे दी।
– उसी दिन देर रात : सदन में हंगामे के बाद देर रात मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों की बैठक ली और इस कानून पर पुनर्विचार के निर्देश दिए।

– 24 अक्टूबर : सदन से सड़क तक आक्रोश बढ़ता देख राज्य सरकार ने इस बिल को पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति को सौंपने का ऐलान किया।
– 25 व 26 अक्टूबर : प्रवर समिति को विधेयक सौंपने के बाद भी दोनों दिन विपक्ष और सत्तापक्ष के लोगों ने काले कानून को लेकर विरोध दर्ज कराया।

बजट सत्र-2018
– 5 फरवरी : बजट सत्र के पहले दिन ही काले कानून का फिर विरोध हुआ। राज्यपाल अपना अभिभाषण तक नहीं पढ़ सके। इसी बीच गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव रख दिया। इसके साथ ही फिर सदन में जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष और सत्तापक्ष के लोगों ने ही सरकार को घेरा।
– 6 फरवरी : काले कानून को लेकर कांग्रेस के गोविन्द सिंह डोटासरा ने पत्रिका के ‘जब तक काला, तब तक तालाÓ का जिक्र किया और संसदीय कार्यमंत्री को घेरा।

– 7 से 9 फरवरी : हर दिन सत्तापक्ष व विपक्ष के सदस्यों ने बहस के दौरान काले कानून का जिक्र किया और इसे लागू करने को गलत बताया।
– 12 फरवरी : मुख्यमंत्री ने बजट पेश किया तो उन्हें शुरुआत में ही विपक्ष के भारी विरोध का सामना करना पड़ा।

हंगामा, करना पड़ा अध्यक्ष को हस्तक्षेप
– 14 फरवरी : सवाई मानसिंह अस्पताल में मीडिया पर पाबंदी लगाने का आदेश जारी हुआ तो इसकी भी काले कानून से तुलना की गई।
– 15 फरवरी : सत्तापक्ष के विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने विरोध किया और कहा कि काला कानून लागू नहीं करा पाओगे, सिर पर क्यों ढो रहे हो।

– 16 फरवरी : प्रश्नकाल के दौरान भी काले कानून का जिक्र हुआ।
– 19 फरवरी : मुख्यमंत्री ने बजट बहस पर जवाब में काले कानून को वापस लेने का एलान किया।

यूं आया और… खत्म हुआ काला कानून
दण्ड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक 2017 को 6 सितंबर 2017 को मंजूरी मिली। अधिसूचना 7 सितंबर को जारी की गई। इसे छह माह के अंदर विधानसभा से पास कराना था लेकिन सरकार ने इसे 23 अक्टूबर 2017 को ही सदन से पास कराने के लिए रख दिया। सदन से पास नहीं होने की स्थिति में यह 42 दिन ही कार्यरत रह सकता था लेकिन विरोध के कारण प्रवर समिति में चला गया। फिर 42 दिन की अवधि 3 दिसंबर 2017 को पूरी हो गई और कानून वर्किंग में नहीं रहा लेकिन प्रवर समिति के पास था। इसे मुख्यमंत्री ने 19 फरवरी को वापस लेने का ऐलान कर दिया।

Hindi News / Jaipur / काला कानून लाने के बाद 14 दिन चला सदन, हर दिन गूंजा काला कानून

ट्रेंडिंग वीडियो