लोगों का कहना है कि जलेब चौक शहर की अहम सम्पत्ति है। निखारने की बजाय प्रशासन ने इसे बदहाल होने के लिए छोड़ दिया है। लोगों ने इस चौक में रात्रि बाजार को सबसे बेहतर गतिविधि बताया है। साथ ही लाइट एंड साउंड शो के जरिए यहां इतिहास की जानकारी प्रदर्शित करने पर जोर दिया है। निगम के अफसरों का कहना है कि इसके लिए आमेर विकास प्राधिकरण व पुरातत्व विभाग से बात की जाएगी। गौरतलब है कि अंतिम बार जलेब चौक के जीर्णोद्धार पर 4 करोड़ खर्च हुए थे।
जलेब बाग़ की खासियत – सुन्दर बाग-बगीचे, चलते थे फव्वारे
– जलेब चौक में दरख्वास्त लिखने में माहिर नीति लेखक व अरजी नवीस, मुंशी व वकील बैठा करते थे।
– चौक में चारों खंडों में सुंदर बगीचों में सुबह-शाम फव्वारे चलते थे।
– पुरानी विधानसभा भवन सवाई मानसिंह टाउन हॉल के आगे सिरह ड्योढी दरवाजा से दुन्दुभिपोल (नक्कारखाने का दरवाजा) होते हुए जलेब चौक में लोगों की आवाजाही होती थी।
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सिटी पैलेस में आने-जाने का प्रमुख रास्ता भी जलेब चौक से ही है।
– वर्गाकार में 4 चौक, सभी तरफ सड़क
– जलेब चौक वर्गाकार में है।
– इसमें चार चौक हैं, जिनमें से २ का क्षेत्रफल एक समान (248 गुणा 204 फीट प्रत्येक) और बाकी दो (146 गुणा 204 फीट प्रत्येक) एक तरह के हैं। तीन चौक में
मंदिर भी हैं।
– 6 तरफ से सड़क है। यानी चारों चौक के सभी तरफ सड़क है, जहां आसानी से पार्किंग भी उपलब्ध है।
– सिरह ड्योढी दरवाजा और गोविन्ददेवजी मंदिर की तरफ 40-40 फीट, सिटी पैलेस दरवाजे की तरफ 40.6 फीट चौड़ी सड़क है।
जलेब चौक का मतलब रक्षादल जलेब चौक फारसी शब्द है। इसका अर्थ है रक्षादल। रियासतकाल में यहां सैनिक व जनानी ड्योढी के सेवक रहते थे। तब यहां सरकारी विभागों की बावन कचहरियां थीं। इतिहासकार नन्दकिशोर पारीक ने लिखा है कि महाराजा रामसिंह ने जलेब चौक के भवनों को दोमंजिला कराकर इसमें बावन कचहरियों की स्थापना की थी। इसमें महकमा जंगलात, यातायात, शिकारखाना, पुलिस, कोर्ट में हाकिम जनता की समस्याएं सुना करते थे।