दरअसल,
सवाई मानसिंह अस्पताल, जेके लोन अस्पताल, कांवटिया अस्पताल समेत राजधानी के अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों में मौसमी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की कतारें देखी जा रही है। उनमें से 50-60 फीसदी मरीज वायरल फीवर से ग्रस्त बताए जा रहे हैं। इन मरीजों में तेज बुखार, शरीर में तेज दर्द, आंखों में दर्द, जोड़ो में दर्द, ठंड लगना या कंपकपी, चलने-फिरने में दिक्कत, कमजोरी, खांसी, भूख कम लगना, उल्टी, सांस लेने में दिक्कत व गले में खराश जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या के चलते एसएमएस, जेके लोन समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में मेडिसिन विभाग के आईसीयू ही नहीं सामान्य वार्डों में भी बेड आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि बारिश होने से ह्यूमिडिटी काफी हो जाती है जिससे वायरस और बैक्टिरिया काफी तेजी से फैलते है। यह भी वायरल फीवर के मरीजों के बढ़ने की वजह है।
दस से पंद्रह दिन में ठीक हो रहे मरीज
चिकित्सकों का कहना है कि वायरल फीवर का असर सामान्यत: तीन से पांच दिन में रहता था, जो अब 7 से 10 दिन तक रह रहा है। इतना ही मरीजों को बुखार भी 102 से 104 डिग्री तक आ रहा है, जो सामान्य: 100 से 102 तक ही देखा जाता था। कुछ मरीजों में खांसी की भी शिकायत मिल रही है, वो भी सात से दस दिन में ठीक हो रही है। यही बदलाव है। जिन मरीजों में वायरल फीवर के कारण किडनी, लिवर और ब्रेन पर असर हुआ हैं, उन्हें ठीक होने में काफी समय लग रहा है। हालांकि इस तरह की दिक्कत ज्यादातर उन मरीजों में होती है। कई मरीजों में ठीक होने के दस से पंद्रह दिन तक कमजोरी बनी रहती है।
यूं करे बचाव
फुल आस्तीन के कपड़े पहनें। ठंडे पेय पदार्थों से परहेज करें। एसी व कूलर का इस्तेमाल सीमित करें। हेल्दी डाइट लें। भीड़ वाली जगहों पर मास्क का प्रयोग करें। लक्षण आने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। बिना परामर्श कोई दवा न लें। घर व आस-पास पानी का जमाव न होने दें। साफ-सफाई का ध्यान रखें। इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए ताजे फलों का सेवन करें, पर्याप्त पानी पिएं और हरी पत्तीदार सब्जियों का भी सेवन करें।
घबराएं नहीं, सतर्क रहने की जरुरत
एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ आचार्य डॉ. सीएल नवल का कहना है कि वर्तमान में ओपीडी में 55-60 फीसदी मरीजों में वायरल फीवर की पुष्टि हो रही है। ट्रेंड में बदलाव के कारण ज्यादातर में प्लेटलेट्स जल्दी कम हो रही है। उन्हें स्वस्थ होने में भी लंबा वक्त लग रहा है। लिवर, किडनी और ब्रेन पर भी असर देखा गया है। आईसीयू में रोजाना दो से तीन ऐसे मरीज भर्ती हो रहे हैं। मरीजों को कमजोरी ज्यादा महसूस हो रही है। मरीज समय पर दवा लेकर ठीक हो रहे हैं इसलिए घबराने की जरुरत नहीं है।