यह मामला फिलहाल साक्ष्यों को रिकॉर्ड पर लेने के स्तर पर चल रहा है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर आरोपी कालीचरण सराफ, पूर्व पार्षद इन्द्र संघी, पूर्व पार्षद धर्मदास मोटवानी व बसंत चौधरी को हाजिर होने का आदेश दिया था, जिसकी पालना में सराफ अपने अधिवक्ता अश्विनी बोहरा के साथ हाजिर हुए।
उल्लेखनीय है कि 20 नवंबर 2000 को नगर निगम की चालान काटने की कार्रवाई को लेकर विवाद हो गया था। जिस पर तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट-19 ने साल 2002 में सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया। इसमें आरोप लगाया कि कार्रवाई के दौरान उनके हाथ से सरकारी दस्तावेज फाड़ा गया और राजकार्य में बाधा पैदा की। इसलिए आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। वहीं आरोपी पक्ष का कहना है कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 265 के तहत केवल जयपुर नगर निगम के बोर्ड को ही अभियोजन की मंजूरी देने व चालान काटने का अधिकार है।