Jaipur Literature Festival 2023 : साहित्य के महोत्सव जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आज समापन
Jaipur Literature Festival 2023 : जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आज अंतिम दिन है और आज तकरीबन 34 सेशन आयोजित किए जा रहे हैं। आज आखिरी दिन बैठक में हुए एक सेशन में जयपुर को लेकर चर्चा की गई। सेशन जयपुर ड्रीमस्केप: शहर और सपने में मनीषा कुलश्रेष्ठ, अनुकृति उपाध्याय, तृप्ति पांडे के साथ मालाश्री लाल ने चर्चा की। सेशन सुबह 12.50 बजे आयोजित किया गया। इसी प्रकार फ्रंट लॉन में गौर गोपाल दास ने अपनी बुक एनर्जीस यॉर माइंड पर पुनीता रॉय के साथ बात की। इस दौरान उनकी यह बुक लॉन्च भी की गई। चारबाग में दोपहर दो बजे फूड फॉर थॉट पर वीर सांघवी मंदिरा नायर के साथ चर्चा करेंगे। सेशन अर्थ डेमोक्रेसी: सीड्स, इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर एंड बियॉन्ड में वंदना शिव और इलसे कोहलर-रोलेफ्सन मुगल टेंट में बात करेंगे। लाइज आवर मदर्स टोल्ड **द इंडियन वुमन्स बर्डन सेशन में नीलांजना भौमिक ने कांता सिंह से बात की। नीलाजंना ने कहा कि आज भी 19वीं सदी से ही ना जाने कितनी ही महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड रही हैं। इस सेशन में महिलाओं के सामने आ रही चुनौतियों पर चर्चा की गई। फेस्ट के अंत में क्लोजिंग डिबेट द राइट एंड लेफ्ट डिवाइड कैन नेवर बी ब्रिज विषय पर होगी, जिसमें स्पीकर के रूप में मकरंद आर. परांजपे, पुरुषोत्तम अग्रवाल,पवन के. वर्मा , प्रियंका चतुर्वेदी और वीर संघवी शामिल होंगे।
चौथा दिन साहित्य और समाज के नाम फेस्टिवल के चौथे दिन विवेकानंद के ज्ञान, हरिप्रसाद चौरसिया की विरासत, जाति प्रथा के दंश, आजादी की कीमत और कला के विविध रूपों पर विस्तार से बात हुई| पहले सत्र ‘कास्ट मैटर’ ने श्रोताओं को समाज की वास्तविकता से रूबरू कराया। सत्र सूरज येंग्ड़े की किताब, कास्ट मैटर पर आधारित था, जिसमें सूरज से बात की वरिष्ठ अकादमिक सुरेंदर एस. जोधका ने। ‘अज्ञेय, निर्मल वर्मा’ पर आधारित एक अन्य सत्र में, अक्षय मुकुल और विनीत गिल से संवाद किया प्रज्ञा तिवारी ने। अक्षय मुकुल ने साहित्यकार अज्ञेय साहित्य पर गहन शोध की है और उनकी कई किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। विनीत गिल ने साहित्यकार निर्मल वर्मा पर गहन कार्य किया है। सत्र की शुरुआत में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका विद्या शाह ने अज्ञेय की कविता, ‘चले चलो ऊधो’ को अपनी सम्मोहक आवाज में प्रस्तुत किया। पुरस्कृत लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरुनी ने लेखिका और मौखिक इतिहासकार आँचल मल्होत्रा से ‘इंडिपेंडेंस’ सत्र में संवाद किया| ये सत्र चित्रा के हालिया प्रकाशित उपन्यास, इंडिपेंडेंस पर आधारित था। उपन्यास के बारे में बात करते हुए चित्रा ने कहा, अगर हमें राष्ट्र निर्माण की कहानी ही याद नहीं रहेगी, तो हम आज़ादी का मतलब कैसे समझ पाएंगे।
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