फिर भी अनदेखी
एयरपोर्ट पर दो टर्मिनल बन गए हैं। रनवे के समानान्तर टैक्सी ट्रैक है। वहां से एक घंटे में 20 से 24 फ्लाइट्स की आवाजाही संभव है। साथ ही बड़े विमान भी खड़े हो सकते हैं। लो-विजिबिलिटी में भी विमान उतर सकते हैं। फिर भी यहां इंटरनेशनल फ्लाइट्स की संख्या बढ़ नहीं पा रही है।
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डोमेस्टिक रूट पर ही फोकस
एयरपोर्ट प्रशासन का कहना है कि एयरलाइंस कंपनियों का इंटरनेशनल की बजाय डोमेस्टिक रूट पर ही फोकस है। बड़ा कारण यह भी है कि कम यात्रीभार के कारण उनके लिए डोमेस्टिक फ्लाइट को तकनीकी कारण बताकर ऐनवक्त पर रद्द करना आसान है, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट को रद्द करना मुश्किल है।
दिल्ली या मुंबई एयरपोर्ट के भरोसे रहते हैं विदेशी-देशी
प्रदेश से कारोबारियों, स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल्स व पर्यटकों का दूसरे देशों में आना-जाना लगा रहता है। विदेशी भी शादी के लिए राजस्थान आते रहते हैं। यहां आने-जाने के लिए दिल्ली या मुंबई एयरपोर्ट के भरोसे रहना पड़ता है। इसमें पैसे और समय दोनों की बर्बादी होती है। व्यापारियों का कहना है कि अरब देशों की तरह जयपुर से अमरीका, यूरोप समेत पूर्वी देशों से सीधी फ्लाइट शुरू हो जाए तो व्यापार के साथ ही पर्यटन उद्योग को भी पंख लगेंगे।
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