न्यायाधीश समीर जैन ने
मुनेश गुर्जर की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में पट्टे के लिए रिश्वत लेने के मामले (Case of taking bribe for lease) में महापौर मुनेश गुर्जर के खिलाफ दर्ज एफआइआर को चुनौती दी गई है। अधिवक्ता दीपक चौहान ने कोर्ट को कहा कि पुलिस इस मामले में आरोप पत्र पेश कर चुकी है, ऐसे में उसके रिकॉर्ड पर आने के बाद सुनवाई की जाए। आरोप पत्र रिकॉर्ड पर नहीं आने के कारण प्रकरण की सुनवाई टाली जाए। इस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद की तारीख तय की।
याचिका में कहा, मुनेश गुर्जर को फंसाया गया
याचिका में कहा कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता से कैसे डिमांड की और एसीबी ने उसका सत्यापन कैसे किया, एसीबी ने यह नहीं बताया है। इसके अलावा याचिकाकर्ता से न कोई रिकवरी हुई है और न एफआइआर में याचिकाकर्ता की भूमिका के संबंध में कुछ कहा गया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पाए गए, यदि साक्ष्य होते तो उसी समय कार्रवाई हो जाती। याचिकाकर्ता को गलत तरीके से फंसाया गया है और एफआइआर दुर्भावना के चलते दर्ज करवाई है। इसलिए एफआइआर को रद्द किया जाए। महापौर के पति को गिरफ्तार किया था
एसीबी ने पिछले साल 6 अगस्त को महापौर मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर सहित दो अन्य को नगर निगम का पट्टा दिलाने की एवज में रिश्वत मांगने के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद मुनेश को निलंबित कर दिया गया और निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
बाद में राज्य सरकार ने निलंबन वापस ले लिया, लेकिन जांच के बाद राज्य सरकार ने मुनेश को पुन: निलंबित कर दिया। मुनेश के पुन: निलंबन के आदेश को हाईकोर्ट ने दिसंबर 2023 में रद्द कर दिया। हालांकि अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद मुनेश और उसके पति सुशील सहित दो अन्य के खिलाफ एसीबी ने कोर्ट में आरोप पत्र पेश कर दिया।