बता दें कि समिट में 50 देशों के 200 कलाकार अपनी कृतियों के साथ शिरकत कर रहे हैं। वहीं लाइव आर्ट में मुरारी झा ने ‘कम इन इट बनाना’ कॉन्सेप्ट के साथ परफॉर्म किया। जबकि नेपाल के सुंदर लामा ने दुनियाभर में शांति की स्थापना के लिए क्रिएटिव अंदाज में लोगों के बीच परफॉर्म किया। राजस्थानी सारंगी का रॉयल अंदाज मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति की बनाई सारंगी वादक की मूर्ति चर्चा का विषय रहा। राजस्थानी सारंगी वादक के एक्सप्रेशन और कलर कॉम्बिनेशन आकर्षक दिखा।
समिट के दूसरे दिन कछुआ चले हंस की चाल लखनऊ के योगेश प्रजापति ने ‘मॉन्यूमेंट’ शीर्षक से इंस्टॉलेशन डिस्प्ले किया है। कलाकार ने देशभर के एेतिहासिक मॉन्यूमेंट्स की दीवारों पर लिखने वाले लोगों पर प्रहार करते हुए गार्डन एरिया में फाइबर के 19 कछुए डिस्प्ले किए। वहीं इन कछुओं पर समिट में आए लोगों से लिखवाया जा रहा है और एेतिहासिक भवनों की खूबसूरती को बरकरार रखने की अपील भी की जा रही है। एक कछुए की आकृति पर लिखी लाइन ‘कछुआ चले हंस की चालट चर्चा का विषय बनी हुई है।
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अमरनाथ शर्मा ने 20 रियलिस्टिक सिगरेट के स्कल्प्चर्स को लेकर मरने की दर्दनाक कहानी को बयां किया। इसमें उन्होंने कई एेसे एलिमेंट्स भी लिए हैं, जो मनुष्य की जान की आफत बनी रहती है। कलाकार ने मौत की कहानी को बड़े ही आर्टिस्टिक स्टाइल में पेश की है। वास्तुकला के सिद्धांत पर बना मंडप शरद मैथिल और उनकी टीम ने मूर्ति एवं वास्तुकला के सिद्धांतों के तहत एक मंडप किया है, जो चारों और से पेड़ों और हरियाली से घिरा है। जिसका निर्माण स्क्रीन के रूप में बेकार हुए लकड़ी के बक्सों का उपयोग करके किया गया है।