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झोली में गिरती है माता की पाती: माता की प्रतिमा जाल के पेड़ से निकलने की लोग चर्चा करते हैं। जगदम्बा के श्रृंगार में पुष्पों के साथ जाल के पेड़ की पत्तियां शामिल की जाती हैं। भक्त मन्नत मांगकर प्रतिमाओं के सामने झोली फैलाकर बैठ जाते हैं। जहां जाल की पत्ती आकर गिर जाती हैं जिसे श्रद्धालु अपनी भाषा में पाती देना बोलते है। यहां कई लोगों को संतान की मन्नत व रोगों निवारण के लिए आते हैं। मंदिर में फागी उपखण्ड के साथ टोंक, अजमेर, जयपुर, दौसा सहित अन्य जिलों से लोग मन्नत मांगने आते हैं।
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जल रही अखण्ड जोत
मंदिर में विशेष स्थान पर स्थापित चामुण्डा माता के नवरात्र में बलिभोग व सुरा की धारा चढ़ाने की परम्परा है। मंदिर में 400 वर्ष से जल रही अखण्ड ज्योत आभा बिखेर रही है। मंदिर ज़् पहुंचने से पूर्व रास्ते में महामाया का मंदिर है। दोनों मंदिरों में जात के साथ मन्नत पूर्ण होने पर सवामणी की परम्परा है। सभी प्रतिमाएं मंदिर के अहाते में स्थित हैं।