रांका-डोगरा के साथ 8 आरएएस अफसर भी रहेंगें CMO में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तबादला सूची में आठ अधिकारियों को भी मुख्यमंत्री कार्यालय में लगाया गया है। इनमें अंतर सिंह नेहरा, शाहीन अली खान, डॉ. हरसहाय मीणा, गौरव बजाड़, ललित कुमार तथा लक्ष्मण सिंह शेखावत को मुख्यमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव लगाया गया है। डॉ. देवाराम सैनी तथा दिनेश कुमार सैनी को मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेषाधिकारी पद पर लगाया गया है।
कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकीं हैं आरती डोगरा आईएएस अफसर आरती डोगरा अपने प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकीं हैं। अजमेर जिला कलेक्टर से पहले वे जोधपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक के पद पर थीं। वे डिस्कॉम के एमडी पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अफसर थीं। इससे पहले डोगरा, बीकानेर कलेक्टर सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर अपनी काबिलियत का लोहा मनवा चुकीं हैं।
फैंस के पहुंच रहे भावुक मैसेज, मिल रही बधाइयां
सीएम का संयुक्त सचिव नियुक्त होने की खबर मिलते ही आरती डोगरा के शुभचिंतकों के मैसेजेज़ उनके ट्विटर अकाउंट में पहुंचने लगे। अजमेर के लोगों ने उन्हें इस नवीन पद के लिए बधाइयां दी। इन संदेशों को आरती डोगरा ने रीट्वीट करते हुए धन्यवाद भी दिया। लोगों ने अपने ट्वीट में डोगरा को नई पारी की बधाई देते हुए बतौर अजमेर जिला कलेक्टर किये कार्यों की सराहना की।
कई अभियान रहे सुपरहिट दरअसल, आरती मूल रूप से देहरादून से हैं लेकिन उन्होंने राजस्थान में परचम बुलंद किया हुआ है। बीकानेर कलेक्टर रहते हुए अप्रैल, 2013 में उन्होंने खुले में शौच से मुक्ति का अभियान ‘बंको बीकाणो’ की शुरुआत की थी, जिसकी काफी सराहना हुई। उनके इस अभियान को पंजाब, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी सराहा गया। अभियान के तहत गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को खुले में शौच न करने के लिए प्रेरित किया गया। इस अभियान के तहत 196 ग्राम पंचायतों का सत्यापन किया गया।
‘बंको बीकाणो’ अभियान के दौरान बीकानेर देश का पहला ऐसा जिला बना, जहां पक्के शौचालयों की मानीटरिंग ‘आउट कम ट्रैकर सॉफ्टवेयर’ के माध्यम से मोबाइल द्वारा की जाने लगी। डोगरा दूसरे प्रांतों के अफसरों को भी इस अभियान का प्रजेंटेशन दे चुकी हैं। देश के 18 राज्यों के प्रतिनिधिमंडल ने अभियान का अध्ययन किया। ब्रिटेन, थाइलैंड, यूएसए, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल आदि देशों के प्रतिनिधियों ने बीकानेर आकर अभियान की जानकारी ली।
डोगरा का ‘मिशन अगेंस्ट एनीमिया’ और ‘डॉक्टर्स फॉर डॉटर्स’ अभियान को भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली।
गिवअप करने की सोची, अब हैं सक्सेसफुल वुमेन
आज वे एक सक्सेसफुल वुमेन हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उन्हें लगा ये मेरे बस में नहीं। उन्होंने गिव-अप करने के बजाए अपने आप को प्रूव करने की ठानी। इसका ही नतीजा है कि वे आईएएस अफसर हैं। आरती डोगरा बताती हैं कि सिविल सर्विसेज में जाने का निर्णय उनका था। इस दौरान कुछ विषयों के समझ न आने पर लगा भी कि ये मेरे से नहीं होगा लेकिन पेरेंट्स ने हिम्मत बंधाते हुए ईमानदारी से अपना 100 प्रतिशत देने का हौसला जगाया और मैंने अपना लक्ष्य हासिल किया।
मां हैं सुपरहीरो
हर बच्चे के लिए मां उसकी सुपरहीरो होती हैं। आरती के लिए भी उनकी मां की दी हुई सीख जीवन में खासा महत्व रखती हैं। उनकी मां कुमकुम डोगरा स्कूल प्राचार्य रही हैं। एक वर्किंग वुमन होने के बाद भी मां को अच्छे से घर संभालता देख आरती ने जिम्मेदारियों को निभाना समझा और अपने निर्णय लेने सीखे।
पिता के वॉर फ्रंट पर होने के कारण घर में तनाव भी अधिक रहता था। इसके बावजूद मां हमेशा सामान्य रहतीं, जिससे कोई परेशानी बच्चों तक न पहुंचे। वे बताती हैं कि आज अपने काम में स्ट्रेस महसूस करने पर वे मां की इसी सीख को याद कर परिस्थितियों से निपटती हैं।
पिता ने बनाया धैर्यवान
आईएएस डोगरा के अनुसार पिता कर्नल राजेन्द्र डोगरा भारतीय सेना में अफसर रहे हैं। वे अधिकांश समय भारतीय बॉर्डर पर रहते। विपरीत हालात में रहकर भी उन्होंने कभी अपना धैर्य नहीं खोया। आरती कहती हैं कि हिम्मत न हारने का जज्बा उन्होंने पिता से ही सीखा है। घर में कैसी भी स्थिति हो, लेकिन उनके पेरेंट्स हमेशा सकारात्मक रवैया रखते।
उन्होंने आरती को सिखाया कि जीवन में कुछ भी मुश्किल नहीं है। जो भी समस्या है उसे पहाड़ न बनाएं, समय लगेगा लेकिन अंतत: आप उससे खुद को बाहर निकाल लोगे। उनका मानना है कि बेटियां आर्थिक रूप से सक्षम बनें।