न्यायाधीश समीर जैन ने एम विजेश्वर की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में करीब पांच साल पहले दर्ज एफआइआर को रद्द करने का आग्रह किया है। तथ्यों के अनुसार मामला
जयपुर के दौलतपुरा में 500 बीघा भूमि से संबंधित है, जो दिल्ली में अप्पूघर चलाने वाली इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लिमिटेड को आवंटित की गई।
इस तरह किया घोटाला
भूमि मेगा टूरिज्म सिटी को एम्यूजमेंट पार्क विकसित करने के लिए दी गई, लेकिन बाद में कंपनी के निदेशकों ने जेडीए से मिलीभगत कर आवंटन पत्र इंटरनेशनल एम्यूजमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नाम जारी करवा लिया। लीज डीड तीसरी कंपनी इंटरनेशनल एम्यूजमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के नाम जारी करवा ली। यह जमीन लोगों ने दुकान और विला आदि के लिए खरीद ली। पीड़ितों के आधिवक्ता शैलेश नाथ सिंह ने कहा कि लीज मिलने के बाद कंपनी ने जेडीए की अनुमति लिए बिना फर्जी नक्शा दिखा दुकान और विला बेच दिए और खरीदारों को मासिक रिटर्न का प्रलोभन दिया। सिंह ने कहा कि इन खरीदारों से 200 करोड़ रुपए ठग लिए गए, जिसको लेकर जयपुर के विभिन्न थाने में 17 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस इन मामलों में करवाई नहीं कर रही।
इस वर्ष दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया
गुडगांव से संबंधित एक अन्य मामले में भी कंपनी से जुड़े लोगों के खिलाफ 37 प्रकरण दर्ज हैं। परिवादियों की ओर से कहा कि हरमाड़ा पुलिस ने अप्पूघर से संबंधित मामले में इस वर्ष दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और अन्य पांच आरोपी फरार हैं। विजेश्वर की एक मामले में गिरफ्तारी होते ही प्रभाव का इस्तेमाल कर परिवादी से राजीनामा कर
राजस्थान हाईकोर्ट में एफआइआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया। परिवादियों ने इस जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए जेडीए ने नाम परिवर्तन से संबंधित जानकारी फाइल में दर्ज ही नहीं की।