इन्हें किया नियुक्त
कोर्ट ने अधिवक्ता सुशीला कलवानिया, पल्लवी मेहता, प्रियांशा गुप्ता व सोनल गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया। इन चारों अधिवक्ताओं को सुनवाई के दौरान न्यायालय का सहयोग करने को कहा गया है।खतरे में पड़ती है जान
पुलिस सहित अन्य संबंधित एजेंसियां बलात्कार पीड़िता को गर्भपात संबंधी प्रावधानों की समय पर जानकारी नहीं देती हैं। जिससे कई बार प्रसव के समय नाबालिग पीड़िताओं की जान खतरे में पड़ जाती है।कोर्ट पहुंचा यह मामला
बिहार की नाबालिग को तस्करी कर कोटा लाया गया। पुलिस ने उसे मुक्त कराया। वह गर्भवती थी। बाल कल्याण समिति ने उसे बालिका गृह भेज दिया। गर्भपात की अनुमति के लिए मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जिस पर कोर्ट ने यह याचिका दर्ज की।समस्या: जब तक ऐसे मामले अदालत पहुंचते हैं अधिकतर में चिकित्सकीय आधार पर गर्भपात की अनुमति दिया जाना संभव नहीं होता।