सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकारमा जूली और पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस शैडो कैबिनेट का गठन किया है, जिसमें राज्य के प्रमुख नेताओं को विभिन्न मुद्दों और विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी
नए जिलों और संभागों की निरस्ति: हाल ही में 9 जिलों और 3 संभागों को निरस्त करने पर कांग्रेस सरकार को घेरने की तैयारी में है। एसआई भर्ती पेपर लीक मामला: कांग्रेस सवाल करेगी कि भर्ती को रद्द क्यों नहीं किया गया, जबकि व्यापक स्तर पर पेपर लीक के आरोप लगे। महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा: इन स्कूलों पर समीक्षा कमेटी के गठन का मुद्दा सदन में उछलेगा।
ईआरसीपी परियोजना: कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग करेगी। यमुना जल समझौता और बढ़ते अपराध: इन विषयों पर भी कांग्रेस कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करेगी। गहलोत सरकार की योजनाओं का नाम बदलना: कांग्रेस इस पर कड़ा विरोध जताएगी।
किसे क्या जिम्मेदारी मिली?
गृह, वित्त और स्वायत्त शासन: शांति धारीवाल।
जयपुर शहर के मुद्दे: विधायक रफीक खान और अमीन कागजी।
उद्योग और वाणिज्य: राजेंद्र पारीक।
ऊर्जा, जीएडी और आयुर्वेद: हरिमोहन शर्मा।
सार्वजनिक निर्माण विभाग: नरेंद्र बुढानिया।
राजस्व, ग्रामीण विकास और पंचायती राज: हरीश चौधरी।
युवा, रोजगार और खेल: अशोक चांदना।
पर्यटन, गोपालन और पशुपालन: रतन देवासी।
स्वास्थ्य: हरेंद्र मिर्धा।
कृषि और किसान: श्रवण कुमार।
सत्र में हो सकता है बड़ा टकराव
बताते चलें कि इस सत्र में 9 जिलों और 3 संभागों की निरस्ति, महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा और गहलोत सरकार की योजनाओं को बंद करने या नाम बदलने के मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखा टकराव होने की संभावना है। कांग्रेस सरकार से यह भी पूछेगी कि एसआईटी, पुलिस मुख्यालय और अन्य समितियों की सिफारिशों के बावजूद एसआई भर्ती मामले में कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई। गौरतलब है कि कांग्रेस की शैडो कैबिनेट ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि इस बार का विधानसभा सत्र सरकार के लिए आसान नहीं होगा। कांग्रेस नेताओं ने योजनाबद्ध तरीके से विभागवार जिम्मेदारी तय की है और सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। अब देखना होगा कि विधानसभा सत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बहस किस दिशा में जाती है।