इस पर न्यायाधीश पंकज भंडारी व न्यायाधीश शुभा मेहता की खंडपीठ ने प्रसंज्ञान लेकर प्रकरण को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया और न्यायालय के सहयोग के लिए अधिवक्ता मूथा को न्यायमित्र नियुक्त किया। समाचार में कहा गया था कि
जयपुर में 500 से अधिक छोटे-बड़े अस्पताल हैं, लेकिन हैरानी की बात है अधिकतर के पास फायर एनओसी (फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट) नहीं हैं।
इससे न केवल मरीजों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों का पालन भी बहुत ही लचर है। सरकारी और निजी, दोनों प्रकार के अस्पतालों में फायर एनओसी की कमी के बावजूद नगर निगम और अग्निशमन विभाग ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।